मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के बयान से पलटने और अभियोजन पक्ष का समर्थन न करने से अभियुक्त के छूटने के बढ़ते केसों को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को बयान पलट सह अभियुक्त के साथ शादीशुदा जीवन बिता रही पीड़िता के खिलाफ झूठा बयान देने का संक्षिप्त विचारण करने का निर्देश दिया है. जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने जन्नत उर्फ उर्वेश की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म के आरोप लगने पर यदि पीड़िता को सरकार ने मुआवजा दिया हो तो उसकी भी वसूली की जाए.  सभी सह अभियुक्तों को पीड़िता के बयान से जमानत पर छूटने की पैरिटी (समानता) के आधार पर याची की भी सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने उसे व्यक्तिगत मुचलके व दो प्रतिभूति पर रिहा करने का निर्देश दिया है. 


आज से शुरू होगा राम मंदिर के गर्भगृह का निर्माण, सीएम योगी आदित्यनाथ रखेंगे प्रथम शिला


दुष्कर्म पीड़िता के बयान से पलटने के कारण अभियुक्त छूट रहे-हाईकोर्ट
कोर्ट ने कहा अक्सर ऐसे मामले कोर्ट में आ रहे हैं जिसमें दुष्कर्म पीड़िता के बयान से पलटने के कारण अभियुक्त छूट रहे हैं. यह कोर्ट कार्यवाही में खलल है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि किसी को झूठ बोल कर न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. अभियुक्त या पीड़ित किसी को भी न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित करने की छूट नहीं दी जा सकती.  


पीड़िता पर  संक्षिप्त कार्यवाही करने का निर्देश
कोर्ट ने याची के मामले में भी पीड़िता पर संक्षिप्त कार्यवाही करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि पहचान परेड के बजाय सबूतों के आधार पर ट्रायल होना चाहिए. क्योंकि अभियोजन गवाह के पक्षद्रोही होने से अपराध के आरोपियों को बरी किया जा रहा है. कोर्ट में झूठ बोलने वाले गवाहों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.


आज की ताजा खबर: यूपी-उत्तराखंड की इन बड़ी खबरों पर बनी रहेगी नजर, एक क्लिक पर पढ़ें 1 जून के बड़े समाचार


WATCH LIVE TV