April Fool’s Day 2023 History:  दुनिया भर में 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस यानी ‘अप्रैल फूल डे’ मनाया जाता है. लोगों के साथ प्रैंक (Prank) या मजाक करने के बाद उत्साह में वो अप्रैल फूल डे कहकर चिल्लाते भी हैं. पहले यह दिन फ्रांस और कुछ अन्य यूरोपीय देशों में ही मनाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे दुनिया भर के देशों में अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा.  इस दिन लोगों अपने दोस्तों, करीबियों या फिर परिवार के सदस्यों को बेवकूफ बनाकर सेलिब्रेट करते हैं. 'अप्रैल फूल डे' (1 April) मनाए जाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं. इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं इसके पीछे की कहानी


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क्यों मनाया जाता है April Fool's Day? जाने  1 अप्रैल के दिन लोगों को मूर्ख बनाने की मजेदार वजह 


 


जानें कब से हुई शुरुआत ?


1-इस डे  जुड़ी एक दूसरी मान्यता के अनुसार इसकी शुरुआत फ्रांस से हुई. किवदंतियों के मुताबिक साल 1582 में चार्ल्स पोप ने पुराने कैलेंडर को बदल कर उसकी जगह नया रोमन कैलेंडर लागू किया था. इसके बावजूद बहुत सारे लोग पुराने कैलेंडर के हिसाब से ही चलते रहे और उसके मुताबिक नया साल मनाते रहे. तब से ही अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा.


2- साल 1582 में चार्ल्स पोप ने फ्रांस में पुराने कैलेंडर को बदल दिया. उसकी जगह एक नया रोमन कैलेंडर लॉन्च किया गया. सभी लोग पुराने कैलेंडर के हिसाब से ही चलते रहे. इसके बाद वहां भी इस दिन को अप्रैल फूल डे मनाना शुरू कर दिया गया.


3- अप्रैल फूल डे की शुरुआत साल 1381 से मानी जाती है, तब पहली बार 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया गया था. इसके पीछे भी एक मजेदार कहानी है. दरअसल, इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने सगाई का ऐलान किया था. और कहा कि इंगेजमेंट 32 मार्च 1381 को होगी. इस ऐलान से आम जनता इतनी खुश हुई कि उसने खुशियां मनाना शुरू कर दिया. हालांकि बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वह बेवकूफ बन गए हैं क्योंकि कैलेंडर में तो 32 मार्च की तारीख ही नहीं होती है. ऐसा भी माना जाता है कि उसके बाद से ही हर साल एक अप्रैल को लोग Fool's Day के रूप में मनाने लगे. 


भारत में शुरुआत


भारत में अप्रैल फूल डे की शुरुआत 19वीं सदी से मानी जाती है. सबसे पहले इसकी शुरुआत अंग्रजों ने की थी. उसके बाद से हर साल 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा.


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