अयोध्या: रामनगरी अयोध्या में रामलला का मंदिर 2023 तक बनकर तैयार हो जाए और भगवान अपने मूल गर्भ गृह में विराजमान हों, इसके लिए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राजस्थान में तीन जगहों पर पत्थर तराशने की वर्कशॉप शुरू की है. रामलला का मंदिर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर पिंक सैंड स्टोन से बनाया जाएगा. अब तक 1 लाख घनफुट पत्थर तराशे जा चुके हैं. रामलला का मंदिर तेजी के साथ बने, इसके लिए 4 लाख घन फुट तराशे गए पत्थरों की जरूरत है. 


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तीन जगहों पर वर्कशॉप हुई शुरू
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राजस्थान के आबू, सिरोही रोड पिंडवाड़ा, मकराना मार्बल में पत्थर तराशने की तीन वर्कशॉप शुरू की है. शुरुआती दौर में इन वर्कशॉप में 1 लाख घन फुट पत्थरों को तलाशने का कार्य शुरू किया गया है. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय का कहना है कि दिसंबर 2023 तक रामलला अपने मूल गर्भ गृह में विराजमान हो जाएंगे. इसके लिए पिंक सैंड स्टोन के तराशे हुए पत्थरों की जरूरत होगी. तेजी के साथ राम मंदिर का निर्माण करने के लिए 2500 कारीगरों की जरूरत है. ऐसे में गुजरात और राजस्थान के कारीगरों को लेते हुए अयोध्या से बाहर राजस्थान में तीन अलग-अलग जगहों पर वर्कशॉप शुरू की गई है, जहां पर पत्थरों को तराशने का कार्य किया जा रहा है.


चंपत राय 3 दिन के राजस्थान दौरे पर
इन वर्कशॉप में पत्थरों को पहुंचाया जा चुका है और डिजाइन भी दे दी गई है. प्रत्येक वर्कशॉप में 33 हजार घन फुट पत्थर को तराशने का कार्य प्रारंभिक तौर पर दिया गया है. 1 लाख घन फुट पत्थर पहले दौर में तराशे जाएंगे. इन पत्थरों को देखने के लिए लार्सन एंड टुब्रो के इंजीनियरों के साथ ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय और ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र राजस्थान 3 दिन के विजिट पर जा रहे हैं.


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नींव भराई का कार्य पूरा
आपको बताते चलें कि 1990 के दौर में अयोध्या में पत्थर तराशने की कार्यशाला शुरू की गई थी, जिसमें अभी तक 1 लाख घनफुट पत्थरों को तराशा जा चुका है. महामंत्री चंपत राय का कहना है कि नींव के भराई का कार्य पूरा हो चुका है. नींव के ऊपर राफ्ट निर्माण का कार्य किया जा रहा है, जो जनवरी माह में पूरा हो जाएगा. उसके बाद मिर्जापुर के लाल बलुई पत्थरों से प्लिंथ का निर्माण होगा जिसमें मार्बल का भी प्रयोग किया जाएगा.


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