सत्यप्रकाश/अयोध्या: राम जन्मभूमि पर भगवान श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण का कार्य प्रगति पर है. मंदिर के गर्भगृह के साथ मंडप निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. भव्य मंदिर का स्ट्रक्चर धीरे-धीरे अपना आकार ले रहा है. वहीं चल रहे इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के रुकावट या बाधा न आए, इसलिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा वैदिक अनुष्ठान का आयोजन कराया जा रहा है. इसमें महाराष्ट्र के 8000 वैदिक विद्वानों के द्वारा भगवान राम लला के गर्भगृह में विराजमान होने तक के लिए अनवरत अनुष्ठान प्रारम्भ किया गया है.


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राम मंदिर ट्रस्ट भगवान राम लला के भव्य मंदिर के गर्भगृह निर्माण 2023 दिसंबर तक पूरा होने की उम्मीद जता रहा है. मकर संक्रांति 2024 तक भगवान राम लला गर्भ गृह में विराजमान होंगे.इसके लिए आज से राम जन्मभूमि पर रामलला के गर्भ गृह निर्माण से महज 200 मीटर दूर स्थित गणपति भवन में धार्मिक अनुष्ठान प्रारंभ कर दिया गया है 


महाराष्ट्र के वैदिक विद्वान कर रहे अनुष्ठान


श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि चार वेद दुनिया की प्राचीनतम धरोहर हैं. ऋग्वेद, सामवेद यजुर्वेद और अथर्ववेद की 11 शाखाएं हैं. सभी वेद की शाखाओं के विद्वान भारत में मिलते हैं. चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में श्री सतगुरु ग्रुप के माध्यम से महाराष्ट्र के वैदिक विद्वान आएंगे. महाराष्ट्र के प्रत्येक जिले से ब्राह्मणों की एक टोली आएगी, वह 15 दिन अयोध्या में रहेंगे. वेद मंत्रों की ऋचाओं का परायण करेंगे. रामलला को वेद मंत्र सुनाएंगे. यह अनुष्ठान राम मंदिर निर्माण तक चलता रहेगा. चंपत राय ने कहा कि लगभग 15 महीने में भगवान राम लला का मंदिर निर्माण हो जाएगा और जब तक भगवान रामलला गर्भ ग्रह में विराजमान नहीं होते तब तक अनवरत अनुष्ठान चलेगा. 


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देव उठनी एकादशी के दिन हुआ प्रारंभ


राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि आज देव उठनी एकादशी है. आज के दिन भगवान विष्णु 4 महीने के शयन के बाद जगे. आज से सभी शुभ काम शुरू करने की परंपराएं आज से प्रारंभ हो रहे हैं. वहीं कार्यक्रम के वैदिक ब्राह्मण पंडित प्रकाश दंड़गे चारों वेदों का अनुष्ठान यहां किया जा रहा है. चंडी पाठ वरुण सूक्त और रुद्र सूक्त, बहुत से पाठ ऐसे हैं जो निर्माण कार्य के लिए जरूरी हैं. पंडित प्रकाश ने बताया कि 15 दिन में 5 वैदिक ब्राह्मण अयोध्या में रहकर अनुष्ठान करेंगे. सभी वेदों के प्रकांड विद्वान अलग-अलग वेदों का परायण संपन्न करेंगे.