Success Story: मॉटिवेशनल स्पीकर ने बदली मेरठ की महिला की जिंदगी, सिंगल मदर होते हुए PCS में पाई सफलता
Success Story: मेरठ की रहने वाली पूनम चौधरी को बलूचिस्तान की मॉटिवेशनल स्पीकर से ऐसी प्रेरणा मिली कि उन्होंने यूपी पीसीएस की परीक्षा पास कर ली.
पारस गोयल/मेरठ: प्रेरणा कहीं से और कहीं से भी मिल सकती है. मेरठ की रहने वाली एक महिला की कहानी भी कुछ ऐसी है. आपको जानकर हैरत होगी लेकिन मेरठ की रहने वाली पूनम चौधरी को बलूचिस्तान की मॉटिवेशनल स्पीकर से ऐसी प्रेरणा मिली कि उन्होंने यूपी पीसीएस की परीक्षा पास कर ली. महिला का कहना है कि मुनीबा मज़ारी से वो कभी मिली नहीं. लेकिन इंटरनेट से उन्हें सुनकर ऐसी प्रेरणा मिली की उनकी ज़िन्दगी ही बदल गई.
मेरठ की रहने वाली पूनम चौधरी ने सभी बाधाओं को मात देते हुए पीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर ही ली. ब्लूचिस्तान की मॉटिवेशनल स्पीकर मुनीबा मज़ारी को इंटरनेट पर पूनम ने क्या सुना उनकी ज़िन्दगी ही बदल गई. पूनम के ज़हन में ख्याल आया कि जब एक महिला होकर उनसे सौ गुना मुश्किलों का सामना कर मुनीबा मज़ारी आज व्हील चेयर पर होते हुए दुनिया को रास्ता दिखा रही हैं तो वो भला वो क्यों नहीं कर सकतीं.
इस ख्याल ने पूनम चौधरी को हिम्मत दी. सिंगल मदर होने के बावजूद उन्होंने अपनी बेटी को बेहतर भविष्य देने के लिए सारी बाधाओं का हंसते हुए सामना किया और आज उन्होंने पीसीएस परीक्षा पास कर ली. पूनम चौधरी सिंगल मदर हैं. लेकिन हौसले हिम्मत जज्बे और जुनून से उन्होंने इस परीक्षा में सफलता हासिल की है. सफलता के बाद पूनम चौधरी जीआईसी में प्राचार्य बन जाएंगी. वह वर्तमान में बुलंदशहर के जीआईसी इंटर कॉलेज में शिक्षिका हैं.
मूल रूप से बुलंदशहर के लक्ष्मी नगर की रहने वाली पूनम चौधरी के सामने शादी के बाद से ही हालात ऐसे बने कि उनको अलग रहने का निर्णय लेना पड़ा. इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि जो सपने उन्होंने देखे थे उनको पढ़ाई के दम पर पूरा करेंगी. बेटी छोटी थी लेकिन उन्होंने उसकी परवरिश के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी.
2012 में वह सरधना के महादेव राजकीय इंटर कॉलेज में शिक्षिका बन गई. 2019 से 2021 तक मेरठ के जीआईसी इंटर कॉलेज में शिक्षिका रहीं. बेटी की पढ़ाई के साथ कोचिंग करके खुद की पढ़ाई करना बेहद मुश्किल भरा रहा. तमाम बाधाओं को पारकर पूनम अब दूसरे के लिए भी प्रेरणास्रोत बन गई हैं. पूनम चौधरी की बेटी और उनके गुरु ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे हैं.
पूनम चौधरी बताती हैं कि उनकी सफलता के पीछे परिवार का बड़ा सहयोग है. जिस उम्र में बेटी को मां के प्यार की जरूरत थी तब वह उनको पढ़ाई करने के लिए कहती थीं. बेटी अब दसवीं कक्षा में है. वाकई में दृढ़ इच्छाशक्ति से मुश्किल से मुश्किल हालात बदल सकते हैं.