मजदूर की बेटी ने कबाड़ से बनाया थ्रेसर, देसी जुगाड़ देख IIT दिल्ली के वैज्ञानिक भी हुए मुरीद
Barabanki News: बाराबंकी की 14 साल की बेटी ने कबाड़ से थ्रेसर बनाया. जिसे देख IIT दिल्ली के वैज्ञानिक भी मुरीद हो गए.
नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी की बेटी पूजा के कबाड़ से धूल रहित थ्रेसर तैयार किया है. जो गेहूं कटाई के दौरान थ्रेसर से निकलने वाली धूल मिट्टी से बचाने और प्रदूषण की रोकथाम में मददगार होगा. IIT दिल्ली के वैज्ञानिकों द्वारा जब इस धूल रहित थ्रेसर मॉडल की सराहना हुई, तो मानो पूजा के हौसलों को पंख लग गये हों. इस मॉडल को इंस्पायर अवार्ड योजना के तहत जिले स्तर के बाद प्रदेश स्तर पर चुना गया था. आईआईटी में प्रजेंटेशन के बाद पूजा अब राष्ट्रीय स्तर पर अपने मॉडल को सेलेक्ट करवाना चाहती हैं. राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रजेंटेशन की तैयारी के लिए पूजा दिन-रात जुटी हुई हैं.
मजदूरी करते हैं पिता
पूजा सिरौलीगौसपुर ब्लॉक के उच्च प्राथमिक विद्यालय अगेहरा की छात्रा हैं. उनकी उम्र 14 वर्ष है और वह कक्षा 8 में पढ़ती हैं. उनके पिता पुत्तीलाल मजदूरी करते हैं. जबकि मां सुनीला देवी प्राथमिक विद्यालय अगेहरा में मिड डे मील बनाने का काम करती हैं.
छप्पर के कच्चे घर में रहने वाली पूजा ने बीते साल धूल रहित थ्रेसर का मॉडल तैयार किया था. छात्रा की प्रतिभा देखकर विज्ञान के शिक्षक राजीव श्रीवास्तव ने उसकी हौसला अफजाई की. उन्होंने पूजा के मॉडल को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जिला स्तर पर आयोजित इंस्पायर अवार्ड योजना में पेश किया. जहां जिले स्तर के बाद राज्य स्तर पर पूजा का मॉडल चयनित हुआ था.
पूजा के मॉडल के बारे में जानने के बाद उन्हें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली बुलाया गया था. यहां मॉडल को आईआईटी के वरिष्ठ विशेषज्ञ और इंजीनियरों ने देखा. विशेषज्ञों ने मॉडल की खुलकर सराहना की. अब इस मॉडल का प्रजेंटेशन राष्ट्रीय स्तर पर होना है.
IIT दिल्ली में पढ़ना चाहती हैं पूजा
वहीं आईआईटी दिल्ली से आने के बाद पूजा काफी खुश हैं. छात्रा ने बताया कि उसका सपना है कि वह भी आईआईटी दिल्ली में जाकर पढ़ाई करें. इसके लिए वह खूब मेहनत करेंगी. वहीं पूजा के शिक्षक राजीव ने कहा कि अब उनका मकसद इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर चयनित कराना है. वहीं, अपनी बेटी की इस सफलता को देखकर सुनीला देवी और पुत्तीलाल बेहद खुश हैं. वह चाहते हैं कि वह पढ़-लिखकर आगे बढ़े और नाम रोशन करे.
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