स्वास्थ्य महकमे में हुए तबादलों का हुआ खुलासा, मरने के बाद ACMO को मिली पोस्टिंग
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य महकमे में हुए बड़े पैमाने पर तबादले का मामला अब तूल पकड़ता दिख रहा है.
बाराबंकी: उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य महकमे में हुए बड़े पैमाने पर तबादले का मामला अब तूल पकड़ता दिख रहा है. स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने एक तरफ जहां अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा से ट्रांसफर मामले में जवाब-तलब किया है, तो वहीं, दूसरी तरफ राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले में तबादलों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. जिले में उप मुख्य चिकित्साधिकारी का पिछले महीने निधन हो चुका है. बावजूद इसके तबादला सूची में उन्हें अपर मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर फतेहपुर जिले में भेजा गया है.
तबादलों को निरस्त करने को लेकर आवाज बुलंद
दरअसल, बाराबंकी एक ऐसे चिकित्सक का भी तबादला हुआ है, जिनकी मौत हो चुकी है. इसके अलावा जिला अस्पताल में एक आई सर्जन को ईएनटी सर्जन बनाकर अयोध्या ट्रांसफर कर दिया गया. ऐसे में अब इन तबादलों को निरस्त करने को लेकर डाक्टरों की आवाज बुलंद होने लगी है. डाक्टरों का कहना है कि यह तबादले नियम विरुद्ध हैं. स्वास्थ्य मंत्री को इन्हें तत्काल निरस्त करना चाहिए.
उप मुख्यमंत्री ने मांगा है विवरण
आपको बता दें कि पूरा मामला स्वास्थ्य विभाग में नियमों की अनदेखी करते हुए बड़े पैमाने पर हुए तबादलों से जुड़ा हुआ है. इन तबादलों को लेकर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद में ठन गई है. ऐसे में एक तरफ मंत्री ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर तबादला किए जाने का कारण स्पष्ट करते हुए पूरा विवरण मांगा है.
मृतक डाक्टर का हुआ तबादला
बता दें कि बाराबंकी में ऐसे चिकित्सक का तबादला हुआ है, जिनका नाम डाक्टर सुधीर चंद्रा था. वह बाराबंकी में उप मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर तैनात थे. वहीं, लीवर की बीमारी के चलते 12 जून, 2022 को उनका निधन हो गया. अब तबादला सूची में मृतक डाक्टर सुधीर चंद्रा को अपर मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर फतेहपुर जिले में भेजा गया. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि एक मृतक डाक्टर का तबादला कैसे हो सकता है.
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आई सर्जन डाक्टर सरोज को ईएनटी सर्जन
बता दें कि दूसरे मामला भी है. जिसमें जिला अस्पताल में तैनात एक आई सर्जन सरोज को ईएनटी सर्जन बनाकर अयोध्या के श्रीराम चिकित्सालय ट्रांसफर कर दिया गया है. ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आंख के किसी डाक्टर को ईएनटी सर्जन कैसे बनाया जा सकता है. आखिर आंख का डाक्टर ईएनटी के मरीजों का इलाज कैसे करेगा. ऐसे में इन तबादलों को कटघरे में खड़ा करना लाजमी है.
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