Lodheshwar Mahadev: पांडवों का बनाए 5 हजार साल पुराने इस शिव मंदिर में महाशिवरात्रि पर जुटती है लाखों की भीड़
Lodheshwar Mahadev: लोधेश्वर महादेवा मंदिर बाराबंकी जिले की तहसील रामनगर में स्थित है. लोधेश्वर महादेवा में पूरे सावन महीने यहां लाखों की संख्या में शिवभक्त जलाभिषेक के लिए आते हैं.
Lodheshwar Mahadev: लोधेश्वर महादेव मंदिर न केवल बाराबंकी बल्कि देशभर प्रसिद्ध है. बाराबंकी के इस मंदिर का अलग ही धार्मिक महत्व है. माना जाता है कि यह लोधेश्वर शिवलिंग करीब 5 हजार साल पुराना है. बाराबंकी का यह प्रसिद्ध मंदिर घाघरा नदी के किनारे स्थित है. यह इतना लोकप्रिय और प्राचीन है कि इसे भारत के शीर्ष 52 शिविलिंगों में माना जाता है. देश के 12 ज्योतिर्लिंगों के साथ लोधेश्वर महादेव मंदिर में सावन के दिनों में देश के कई राज्यों से लाखों श्रद्धालु शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं.
मंदिर की यह है मान्यता
मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां शिवलिंग को स्थापित किया था. करीब 12 वर्षों तक रुद्र महायज्ञ किया था. मान्यता है कि लोधराम नाम के किसान अपने खेतों में पानी लगाए हुए थे. सिंचाई का सारा पानी एक गड्ढे में जा रहा था और वो गड्ढा पानी से भी नहीं भर रहा था. रात को किसान लोधराम परेशान होकर घर लौट आया और उन्होंने सपने में देखा, जिस गड्ढे में पानी जा रहा था, वहां भगवान शिवलिंग था. यह वही शिवलिंग था, जिसे माता कुंती महाभारत काल में पूजा-अर्चना करती थीं. मंदिर की स्थापना के बाद लोधेश्वर महादेवा नाम पड़ गया.
सावन में भगवान शिव हर शिवलिंग में विराजते हैं
लोधेश्वर महादेवा मंदिर बाराबंकी जिले की तहसील रामनगर में स्थित है. लोधेश्वर महादेवा में पूरे सावन महीने यहां लाखों की संख्या में शिवभक्त जलाभिषेक के लिए आते हैं. महादेवा मंदिर के मठ पुजारी ने बताया कि सावन में भगवान शिव हर शिवलिंग में विराजते हैं. लोधेश्वर महादेव का महत्व पौराणिक काल से है. यहां जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यहां बेलपत्र, धतूरा, भांग, मदार के फूल और शमी की लकड़ी से पूजन किया जाता है. लोधेश्वर महादेवा में जलाभिषेक के लिए जिले के अलावा लखनऊ, बहराइच, कानपुर, उन्नाव, उरई, जालौन समेत कई जिलों से बड़ी तादात में शिव भक्त आते हैं.
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