मेडिकल दुकान में दवा खरीदने से पहले देख लें नकली तो नहीं है, ऐसे करें पहचान
पिछले कुछ समय में यूपी के अलग-अलग शहरों से नकली दवाओं के कारोबार की शिकायत मिलती रही है. आइए जानते हैं कैसे नकली दवाओं की पहचान करें.
लखनऊ: मेडिकल की दुकान में दवा खरीदने से पहले थोड़ा एहतियात जरुर बरतें. मसलन जो दवा आप खरीद रहे हैं कहीं वह नकली तो नहीं है. उसकी कंपनी का नाम आदि अच्छे से पढ़ लें. दवाइयों की पैकिंग पर भी एक यूनिक कोड प्रिंट होगा. दवा कंपनियों को अपनी प्राइमरी या सेकेंडरी पैकेजिंग पर एक बारकोड या क्यूआर कोड को लगाना अनिवार्य होता है, जिसे अपने स्मार्टफोन से आप स्कैन करके यह पता लगा सकता है कि दवा असली है या नकली.
दवा खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि ओरिजनल दवाईयों पर यूनीक कोड प्रिंट होता है. इस कोड में दवा की मेन्युफैक्चरिंग डेट और लोकेशन से लेकर सप्लाई चेन तक की पूरी जानकारी लिखी होती है. इस लिस्ट में एंटीबायोटिक, पेन रिलीफ पिल्स, एंटी एलर्जिक दवाईयां शामिल हैं. ऐसे में जब भी दवा खरीदें तो उस पर बना क्यूआर कोड स्कैन करना न भूलें. इससे दवा की पूरी जानकारी आपको आसानी से मिल जाएगी और आप पता लगा पाएंगे कि दवाई असली है या नहीं. कई बार नकली दवा पर क्यूआर कोड नहीं लगाया जाता है.
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हालांकि कुछ लोगों को लगता है कि जब नकली मेडिसिन बनाना आसान है तो क्यूआर कोड कॉपी करने में कितना समय लगेगा. लोगों के मन में सवाल होता है कि क्यूआर कोड से कैसे असली-नकली की पहचान हो सकती है. क्यूआर कोड भी कॉपी हो सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि दवाईयों पर बना यूनीक कोड एडवांस वर्जन का होता है, साथ ही यह सेंट्रल डेटाबेस एजेंसी से जारी होता है. हर दवा के साथ उसका यूनीक क्यूआर कोड भी बदला जाता है. ऐसे में किसी भी दवाई पर सिर्फ एक बार ही बारकोड का इस्तेमाल होता है. इसे कॉपी कर पाना आसान नहीं है. ध्यान रहे सौ रुपए की ऊपर की सभी दवाओं पर बारकोड लगाना अनिवार्य होता है. ऐसे में आप भी बिना बारकोड किसी दवा को खरीदने से बचें.
कुछ समय पहले बुलंदशहर में नकली दवाओं का कारोबार करने वाले एक ऐसे गिरोह का खुलासा हुआ है, जो बाजार में कई बड़ी कंपनियों की जेनेरिक और नॉन जेनेरिक दवाओं की नकली मेडिसिन बेचते थे. उत्तर प्रदेश एसटीएफ की वाराणसी इकाई द्वारा ये कार्रवाई की गई है. बताया जा रहा है कि गिरोह हिमाचल प्रदेश के बद्दी से ब्रांडेड कंपनियों के नाम की नकली दवाएं बनवाकर तथा वाराणसी में अवैध तरीके से स्टोरेज करते थे. इसके बाद वाराणसी सहित पूर्वांचल के अन्य जनपदों के साथ-साथ पटना, गया, पूर्णिया बिहार, कोलकाता, हैदराबाद आदि स्थानों पर सप्लाई की जाती थी. गैंग का खुलासा करते हुए बुलन्दशहर निवासी गैंग सरगना अशोक कुमार को कमिश्नरेट वाराणसी के थाना सिगरा अंतर्गत चर्चकलोनी से गिरफ्तार करते हुए निम्न बरामदगी की गई थी.
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