श्याम जी तिवारी/कानपुर: बिकरू कांड को भले ही 2 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन विकास दुबे के खौफ का अंत नहीं हो पाया है. इसी खौफ के चलते बिकरू और आस-पास के गांवों का विकास रुका हुआ है. इसी क्रम में बिकरू गांव की प्रधान और क्षेत्र के दो अन्य प्रधानों ने जिलाधिकारी से मुलाकात की. उन्होंने बताया कि विकास दुबे का कथित भांजा रिषभ दुबे क्षेत्र में लेखपाल है. वह प्रधानों की बात नहीं सुनता और अपनी मनमानी करता है. इस वजह से क्षेत्र का विकास कार्य थम गया है. जिलाधिकारी ने उन्हें मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करने का भरोसा दिया. 


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क्षेत्र में अपनी मनमानी चलाते हैं विकास के समर्थक 
बिकरू ग्राम प्रधान मधु गौतम ने बताया कि क्षेत्र का लेखपाल ऋषभ दुबे विकास दुबे का भांजा लगता है. वह अपनी नौकरी ठीक से नहीं करता. ग्रामीणों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देता है. जिसकी शिकायत उन्होंने कई बार की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. वही कीरतपुर गांव के ग्राम प्रधान मुकेश ने कहा कि लेखपाल की सुनवाई न करने के चलते गांव के विकास के काम नहीं हो पा रहे हैं. विकास दुबे का भले ही अंत हो गया है. उसके कई साथी जेल में हैं लेकिन अभी भी विकास दुबे के कई समर्थक हैं, जो क्षेत्र में अपनी मनमानी चलाते हैं. 


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गौरतलब है कि 2 जुलाई 2022 की रात बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस की टीम पर विकास दुबे ने गुर्गों के साथ मिलकर हमला कर दिया था. ताबड़तोड़ फायरिंग कर विकास और उसके गुर्गो ने तत्कालीन सीओ बिल्लौर सहित आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर दी थी. बाद में विकास दुबे और उसके 5 साथी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए थे. जिसके बाद हुए ग्राम प्रधान चुनाव में बिना खौफ के प्रधान चुने गए. तब क्षेत्र की जनता को लगा कि हालात बदल जाएंगे, लेकिन विकास दुबे से रिश्ता रखने वाले लोग क्षेत्र के विकास को प्रभावित कर रहे हैं. वह अब भी अपनी मनमानी चलाना चाहते हैं. यही वजह है बिकरू और आस-पास के गांवों का विकास नहीं हो पा रहा है. 


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