जितेन्द्र सोनी/जालौन: उत्तर प्रदेश के कानपुर में 2 वर्ष पहले पूरे देश का दिल झंझकोर देने वाला जघन्य हत्याकांड सामने आया था. सर्वाधिक चर्चित बिकरु हत्याकांड को ठीक 2 साल हो गए हैं. इस कांड में डीएसपी समेत 8 पुलिस जवान शहीद हो गए थे, जिसमें झांसी जनपद के भोजला के रहने वाले जवान सुल्तान सिंह भी इस कांड में शहीद हुए थे. इस शहीद के परिजनों को सरकार ने मृतक आश्रित के तहत सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी. मगर घटना के 2 साल बीत जाने के बावजूद भी अभी तक इस कांड में शहीद हुए पुलिस जवान सुल्तान सिंह की जालौन के उरई की रहने वाली पत्नी को सरकार द्वारा नौकरी नहीं दी गई. कैमरे पर शहीद हुए सुल्तान सिंह की पत्नी से बात की तो उनका दर्द आज उनकी आंखों में झलक आया और अब जीवनयापन के लिए फाकाकशी के दौर में शहीद की पत्नी ही दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर है.


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गौरतलब है कि बीती 2 जुलाई 2020 की काली रात को चौबेपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम बिकरू में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों को गिरफ्तार करने के लिए बिल्लौर के डीएसपी देवेंद्र कुमार मिश्रा अपनी टीम के साथ दबिश देने के लिए गए हुए थे, जहां विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी. इस घटना में डीएसपी देवेंद्र कुमार मिश्रा सहित 8 पुलिसकर्मी जिसमें एसओ महेश कुमार यादव, दरोगा अनूप कुमार सिंह, नेबू लाल, सिपाही सुल्तान सिंह, जितेंद्र पाल, बबलू कुमार, राहुल कुमार शहीद हो गए थे. 


बीएड और टीईटी पास है शहीद की पत्नी 
इस हत्याकांड में शहीद हुए परिजनों को शासन की तरफ से सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई थी, लेकिन इस हत्याकांड के 2 साल बीत जाने के बावजूद भी शहीद हुए सुल्तान सिंह की पत्नी को अभी तक शासन की तरफ से नौकरी नहीं दी गई, जिसका दर्द उसकी पत्नी पर साफ झलक रहा है. शहीद हुई सुल्तान सिंह की पत्नी उर्मिला वर्मा का कहना है कि शासन से आश्वासन मिला था कि उन्हें सरकारी नौकरी दी जाएगी, लेकिन घटना के 2 साल बीत जाने के बावजूद अभी तक उन्हें नौकरी नहीं दी गई है. उन्होंने बताया कि वह बीएड और टीईटी पास है और सरकार ने कहा था कि पहले उन्हें शिक्षा विभाग में नौकरी दे दी जाएगी, मगर किन्ही कारणों से पुलिस विभाग में ही जॉब देने की बात कही गई थी. 


मायके में रहने को मजबूर शहीद की पत्नी 
शहीद सुल्तान सिंह की पत्नी उर्मिला ने बताया कि वह शारीरिक रूप से फिट हैं. उनकी एक छोटी बच्ची है, लेकिन पुलिस विभाग की तरफ से उन्हें लेटर फिजिकल के लिए भेजा जाता है, जबकि वह बता चुकी है कि शारीरिक बीमारियों के कारण वह पुलिस में सेवा नहीं दे सकती हैं. उन्हें शिक्षा विभाग में जॉब दिया जाए. मगर सरकार की तरफ से इस पर कोई भी गौर नहीं किया जा रहा है जबकि इस घटना में शहीद हुए अन्य पुलिस जवानों की पत्नियां बच्चों को पुलिस विभाग से दूसरे विभाग में जॉब दे दी गई, लेकिन उनकी अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं किया गया है. उर्मिला ने बताया कि उन्हें अपने परिवार का भरण पोषण करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है. वह मजबूरी में अपने माता-पिता के घर रहकर बच्चों की पढ़ाई व परवरिश कर रही है.


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