बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में बुधवार को भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के वार्षिक सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन था. इसमें बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (BKU Spokesperson Rakesh Tikait) ने भी शिरकत की. इस मांगलिक कार्यक्रम के मौके पर भी टिकैत राजनीतिक चर्चा करना नहीं भूले. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. कहा कि देश का किसान 2024 में नरेंद्र मोदी सरकार को 10 में से 0 नंबर देगा. 


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अगर 2024 तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने रह गए तो देश बिक जाएगा: टिकैत 
उन्होंने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों (Center's Farm Laws) को फिर से काला कहा. राकेश टिकैत ने कहा कि अगर 2024 तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने रह गए तो देश बिक जाएगा. कोयले की कमी के कारण उत्पन्न ऊर्जा संकट पर राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने बिजली उत्पादन को भी प्राइवेट हाथों में देने की तैयारी कर ली है, जिसके बाद दरों में तेजी से बढ़ोतरी की जाएगी, ₹7 यूनिट बिजली के दाम बढ़ाकर ₹15 प्रति यूनिट कर दिए जाएंगे.


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लखनऊ में  26 अक्टूबर को भारतीय किसान यूनियन करेगा बहुत बड़ी पंचायत
राकेश टिकैत ने कहा कि 26 अक्टूबर को भारतीय किसान यूनियन लखनऊ में बहुत बड़ी पंचायत करने जा रही है. हमारी मांग रहेगी कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का इस्तीफा लिया जाए और गिरफ्तार करके आगरा जेल में बंद किया जाए. लखीमपुर ​खीरी हिंसा के मामले में आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी पर तंज कसते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि रेड कार्पेट बिछाया गया और फूलों के गुलदस्ते देकर पूछताछ की गई.


अगर 10 साल भी हमें आंदोलन चलाना पड़ेगा तो हम चलाएंगे: राकेश टिकैत
उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि किसान संगठनों की मांगें पूरी नहीं हुई तो भारतीय किसान यूनियन एक बार फिर बड़ा आंदोलन करेगा. केंद्र सरकार को कृषि कानून वापस लेने पड़ेंगे. अगर 10 साल भी हमें आंदोलन चलाना पड़ा तो हम चलाएंगे. आज जो सरकार है, कल नहीं रहेगी. लेकिन किसान था, है और हमेशा रहेगा. यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि आचार संहिता लागू होने के बाद  हम अपनी रणनीति तय करेंगे.


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सामूहिक विवाह कार्यक्रम को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन का यह कार्यक्रम भी एक सामाजिक आंदोलन की तरह है, जो वर्षों से होता चला आ रहा है. यह टीम वर्क है, जिसमें पुलिस और प्रशासन का पूरा सहयोग है. इस तरह के कार्यक्रम सामाजिक आंदोलन की तरह लगातार चलते रहना चाहिए. आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी में हुई ​हिंसा के बाद शासन और किसानों के बीच हुए समझौते में राकेश टिकैत ने ही मध्यस्त की भूमिका निभाई थी.


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