कानपुर: कभी “तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार” का नारा देने वाली बहुजन समाज पार्टी साल 2007 में दलित+ब्राह्मण सोशल इंजीनियरिंग का सफल प्रयोग कर चुकी है. तब इस सोशल इंजीनियरिंग के आर्किटेक्ट थे मायावती के विश्वासपात्र सतीश चंद्र मिश्रा. बसपा 2022 विधानसभा चुनाव के लिए एक बार फिर इसी सोशल इंजीनियरिंग को अपना हथियार बनाने की फिराक में है और इसको सफल बनाने की जिम्मेदारी एक बार फिर सतीश चंद्र मिश्रा के कंधों पर है. अयोध्या में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन का आगाज करते हुए सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा था कि यदि 20% दलित और 13% ब्राह्मण साथ आ जाएं तो 2022 में बसपा की सरकार बनने से कोई नहीं रोक सकता. 


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बसपा कानपुर की किदवईनगर विधानसभा सीट से अपने प्रत्याशी का एलान 7 नवंबर को एक सादे समारोह में करेगी. इस सीट पर बसपा ने मोहन मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है. कानपुर की गोविंदनगर विधानसभा सीट से भी बसपा के प्रत्याशी का नाम फाइनल हो गया है. इसका भी एलान 15 नवंबर तक हो जाएगा. किदवईनगर, गोविंदनगर के प्रत्याशियों के चयन के बाद बसपा ने छावनी, सीसामऊ, आर्यनगर और महाराजपुर विधानसभा के प्रत्याशियों का चयन शुरू कर दिया है. हर सीट पर दो-दो, तीन-तीन दावेदार हैं. इन सीटों के प्रत्याशियों का भी चयन 20 नवंबर तक हो जाएगा. इसके बाद नाम का एलान होगा. 


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बसपा के शीर्ष नेतृत्व ने कानपुर की महाराजपुर, कैंट, आर्यनगर, सीसामऊ, किदवईनगर और गोविंद नगर सीटों में से 4 पर सवर्ण प्रत्याशियों पर दांव लगाने की योजना बनाई है. पार्टी नेतृत्व के जोनल को-ऑर्डिनेटरों नौशाद अली की मानें तो किदवईनगर और गोविंदनगर में ब्राह्मण प्रत्याशी लगभग तय हैं, बाकी चार सीटों में से दो में और सवर्ण बिरादरी के ही लोगों को प्रत्याशी बनाया जाएगा. इस वजह से बसपा नेतृत्व प्रत्याशियों के चयन में जातीत समीकरण का पूरा ध्यान लगाए हुए है. कैंट और आर्यनगर की सीटों पर बसपा प्रत्याशी चयन में हर समीकरण पर ध्यान दे रही है. 


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मुख्य जोनल को-ऑर्डिनेटर नौशाद अली की एक टीम पिछले कई दिनों से बची सीटों बिल्हौर, बिठूर, कल्याणपुर, घाटमपुर पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर हर वर्ग से गोपनीय जानकारी जुटा रही है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा ने 86 विधानसभा सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे थे और 41 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई थी. इसके लिए चुनाव से 1 वर्ष पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई थी. उम्मीदवारों को अपने क्षेत्र में दौरा करने का पर्याप्त मौका मिला था. बसपा ने 403 में से 206 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी और मायावती मुख्यमंत्री बनी थीं.


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