Buddha Purnima 2023: बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध के जन्म दिवस को बुद्धपूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. एक मान्यता यह भी है कि बैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. बुद्ध पूर्णिमा को बौद्धधर्म ही नहीं बल्कि हिन्दू धर्म को मानने वाले भी मनाते हैं. बहुत से लोग भगवान बुद्ध को विष्णु का नौवां अवतार मानकर उनकी पूजा करते हैं. इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान कूर्म की जयंती भी है. धार्मिक दृष्टि से बुद्धपूर्णिमा का विशेष महत्त्व है. 
 


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इस बार बन रहा महासंयोग
इस साल बुद्ध पूर्णिमा 5 मई को मनाई जा रही है और इसी वैसाख पूर्णिमा को साल का पहला चंद्रग्रहण भी लग रहा है. ग्रहण एक भौगोलिक घटना है. लेकिन पौराणिक मान्यता के अनुसार जब पूर्णिमा की रात राहु और केतु चंद्रमा को निगलने का प्रयास करते हैं. तब चंद्रग्रहण लगता है. भारत में चंद्रग्रहण 5 मई को रात 8 :45 से मध्य रात्रि 1:08 तक रहेगा. बुद्ध पूर्णिमा या वैशाख पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का योग 130 साल बाद बना है. हालांकि यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण है यानि चन्द्रमा पर पृथ्वी की छाया केवल एक तरफ रहेगी . इसलिए इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा. बुद्धपूर्णिमा की पूजा पर इसका कोई विशेष असर नहीं पड़ेगा. फिर भी आप पूजा करते समय कुछ शुभ मुहूर्त और अन्य विशेष बातों का ध्यान रख सकते हैं.


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इन बातों का रखें विशेष ध्यान


चन्द्रमा की पूजा ग्रहण से लगने से पहले कर लें. चंद्रमां को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त शाम 06:45 है इसके 2 घण्टे बाद ग्रहण शुरू हो जाएगा. भगवान कूर्म की पूजा का मुहूर्त शाम 4:18 है. इसलिए ग्रहण से पहले ये पूजा कर लें. भगवान विष्णु की पूजा सामग्री में तुलसी का इस्तेमाल अवश्य करें. मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पूर्णिमा की मध्यरात्रि श्री सूक्त का पाठ करें. ग्रहण के समय भगवान का नाम जपते रहें.