शादियों में DJ बजा या नाच गाना किया तो नहीं पढ़ेंगे निकाह, शाही मस्जिद के शहर काजी का फरमान
Bulandshahr: शादियों में डीजे बजाने से लेकर नाज गाने की अनुमति नहीं होगी. सिकंदराबाद के शहर काजी के द्वारा इस को लेकर फरमान जारी किया गया है. समाज के कुछ लोग इसको सही मानते हुए अमल भी कर रहे हैं.
मोहित गोमत/बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में मुस्लिम मौलानाओं ने एक नया फरमान जारी किया है, जिसमें साफ-साफ यह घोषणा की गई है कि अगर मुस्लिम समाज के किसी भी तबके के नागरिकों ने शादी समारोह या किसी प्रकार के अन्य समारोह में डीजे बजाया, नाच गाना किया या आतिशबाजी की तो उस समारोह में ना तो मौलाना निकाह पढ़ाने के लिए शरीक होंगे और ना ही समाज के जिम्मेदार लोग शरीक होंगे. सिकंदराबाद के शहर काजी के द्वारा यह फरमान जारी होने के बाद समाज के कुछ लोग इसको सही मानते हुए अमल भी कर रहे हैं.
दरअसल मुस्लिम समाज में भी इन दिनों शादी विवाह समारोह या किसी भी प्रकार के अन्य समारोह में जमकर डीजे बजाया जाता है नाच गाना भी किया जाता और साथ में आतिशबाजी भी छोड़ी जाती है. मुस्लिम समाज के मौलानाओं का मानना है कि इस तरीके से यह सभी रिवाज मुस्लिम समाज के विरुद्ध हैं, वहीं दूसरी ओर इन पर बेवजह फिजूलखर्ची की जाती है. जिसकी वजह से आर्थिक बोझ परिवार पर पड़ता है.
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क्या बोले शाही मस्जिद के इमाम
सिकंदराबाद की शाही मस्जिद के इमाम मौलाना अरशद कासमी ने बताया कि 1 जनवरी 2023 से मुस्लिम समाज के सभी तबके के लोगों के लिए ये आदेश जारी किया गया है कि अगर किसी भी मुस्लिम समाज के व्यक्ति ने अपने शादी समारोह या अन्य समारोह में डीजे बजवाया या आतिशबाजी की या फिर नाच गाना किया तो उसके यहां निकाह पढ़ाने के लिए ना तो कोई मौलाना जाएंगे ना कोई उलेमा जाएंगे. साथ ही उन्हें समाज से भी बहिष्कृत करते हुए उनके आयोजनों में समाज के जिम्मेदार लोग शरीक नहीं होंगे.
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शाही मस्जिद के इमाम के आदेश को मानते हुए सिकंदराबाद के ही रहने वाले रशीद ने अपने बेटे के विवाह समारोह में ना तो आतिशबाजी की, न ही डीजे बजवाया और ना ही ढोल नगाड़े, बहुत ही साधारण तरीके से रशीद अपने बेटे की बारात लेकर लड़की पक्ष के घर पहुंचा.
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