मोहित गोमत/बुलंदशहर:  प्लीज मेरे बच्चे को बचा लो..... ये गुहार है बुलंदशहर ज़िले की रहने वाली एक बेबस मां कोमल की, जिसके दो मासूम बच्चे ऐसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. जिनका इलाज कराना इस लाचार परिवार के काबू से बाहर की बात है.


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दरअसल साढ़े तीन साल का अर्णव और डेढ़ साल का कुणाल ''एमपीएस सेकेंड हंटर सिंड्रोम MPS Second, Hunter Syndrome) नाम की घातक बीमारी से ग्रसित हैं, जबकि इन दोनों मासूमों की ज़िंदगी की बचाने के लिए डॉक्टरों ने इस परिवार को दो करोड़ 34 लाख रुपये का खर्चा बताया है. जिसके बाद ये विवश परिवार प्रधानमंत्री मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी और जनता से मदद की गुहार लगा रहा है.


शुरुआत में ये मासूम बोलते और चलते थे. मगर अब यह बोल नहीं पाते हैं जबकि अब इनके हाथ पांव भी पूरी तरह काम नहीं करते. इतना ही नहीं परिवार का दावा है कि अगर समय पर इनका इलाज शुरू नहीं हुआ तो इन दोनों की जान को भी खतरा है. ये दोनों मासूम बुलंदशहर के सिकन्द्राबाद के गेसपुर गांव में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में हैं, मासूमों के पिता हरीश यूपी पुलिस में बतौर कांस्टेबल मुरादाबाद में सेवारत हैं, जबकि फिलहाल इनका पूरा परिवार बच्चों की बीमारी को लेकर तनावग्रस्त है. 


मां कोमल ने बताया कि पैदाइश के एक साल बाद से बड़े बेटे अर्णव को दिक्कतें शुरू हो गई थीं, जिसके चलते इनकी ओर से अर्णव को लगातार बुलंदशहर व अन्य बड़े शहरों के चाइल्ड स्पेशलिस्ट को दिखाया जाता रहा, इसी दौरान छोटे बेटे कुणाल का भी जन्म हो गया जन्म से ठीक एक साल तक वह ठीक रहा, मगर उसके बाद वह भी काफी बीमार रहने लगा, डॉक्टरों की सलाह पर लंबे समय तक अलग अलग अस्पतालों की ख़ाक छानने के बाद ये परिवार दिल्ली AIIMS पहुंचा, जहां उन्हें बच्चों के MPS II, Hunter Syndrome नामक बीमारी से ग्रसित होने का पता चला. 


परिवार ने बताया कि इन दोनों मासूमों को हर सप्ताह जो इंजेक्शन लगने है उस एक इंजेक्शन की कीमत डेढ़ लाख रुपया है, यही डेढ़ लाख की कीमत का इंजेक्शन अर्णव को कलमबंद दो साल तक हर सप्ताह लगने हैं, जबकि कुणाल को एक साल तक, यानी डॉक्टरों ने इनके इलाज का कुल खर्ज 2 करोड़ 34 लाख बताया है. 


हमारी टीम से बातचीत के दौरान मासूमों की मां ने उनके इलाज के लिए रो-रोकर सरकार, सामाजिक संगठन और जनता से मदद की गुहार लगाई है, जबकि इनकी बूढ़ी दादी कैमरे के सामने फफक कर रोने लगीं उनके द्वारा बच्चों के इलाज के लिए लोगों से मदद के लिए गुहार लगाई गई.


कहानी सुनाते हुए मासूमों की बूढ़ी दादी विमला का तो मानो दर्द से कलेजा फट गया हो, उनकी ओर से बताया गया कि पति और बड़ा बेटा मजूदरी करके परिवार का भरण पोषण करते थे, बमुश्किल 2016 में छोटा बेटा पुलिस में भर्ती हुआ मग़र उसके बाद जन्में अर्णव और कुणाल की गंभीर बीमारी ने घर घेर लिया, घर बेच भी दें तो भी मासूमों का इलाज़ कराना नामुमकिन है. 


परिवार की मानें तो इस बीमारी का एक मात्र इलाज एक इंजेक्शन है. जिसकी कीमत डेढ़ लाख रुपया है. दावा है कि अगर इलाज शुरू नहीं कराया गया तो कुछ दिन बाद ये बच्चे अपना वजन तक सहन करने में असमर्थ होंगे, यहां तक कि बिना इलाज इनका ज़िन्दा रहना भी मुश्किल है, परिवार की मानें तो इलाज का कुल खर्च दो करोड़ 34 लाख रुपया है जबकि इलाज शुरू कराने के लिए हर सप्ताह परिवार को औसतन तीन लाख से अधिक रुपयों की ज़रूरत होगी. ऐसे में परिवार सरकार और लोगों से मदद की गुहार लगा रहा है.