वो लोकसभा सीट जिस पर 2019 के नतीजों ने पूरे देश को चौंका दिया था, अपने ही 'खास' से हार गए थे 'महाराज'

2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे. साल 2002 में अपने पिता की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव के बाद से ज्योतिरादित्य इस सीट पर लगातार जीतते आ रहे थे. गुना को उनका अभेद्य किला माना जाता था. लेकिन 2019 में यह रिकॉर्ड टूटने जा रहा था. बीजेपी ने इस सीट से कृष्ण पाल यादव को प्रत्याशी बनाया था. कृष्णपाल और ज्योतिरादित्य सिंधिया का कनेक्शन भी पुराना था. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 30, 2024, 05:00 PM IST
  • 2019 में सिंधिया की हार ने चौंकाया था.
  • केपी यादव ने हरा दिया था अहम चुनाव.
वो लोकसभा सीट जिस पर 2019 के नतीजों ने पूरे देश को चौंका दिया था, अपने ही 'खास' से हार गए थे 'महाराज'

नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2024 में अब तक दो चरण की वोटिंग संपन्न हो चुकी है. तीसरे चरण की वोटिंग आगामी 7 मई को होगी. इस चरण में देश की कई अहम सीटें शामिल हैं. ऐसी ही एक सीट है मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट. इस सीट पर पूरे देश की निगाहें इस वजह से रहती हैं क्योंकि इसे सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता है. इस सीट से वर्तमान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से पहले उनके पिता माधवराव और दादी विजयाराजे सिंधिया चुनाव लड़कर देश की संसद में पहुंचते रहे हैं. लेकिन 2019 में इस सीट पर चुनाव के नतीजों ने पूरे देश को चौंका दिया था. आजादी के बाद हुए इस पर हुए अब तक के सभी चुनावों में सिंधिया परिवार को जीत ही हासिल हुई थी लेकिन 2019 में परिवार का यह रिकॉर्ड टूट गया था जिसने सभी चौंका कर रख दिया था. 

2002 से लगाता चुनाव जीत रहे थे सिंधिया
2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे. साल 2002 में अपने पिता की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव के बाद से ज्योतिरादित्य इस सीट पर लगातार जीतते आ रहे थे. गुना को उनका अभेद्य किला माना जाता था. लेकिन 2019 में यह रिकॉर्ड टूटने जा रहा था. बीजेपी ने इस सीट से कृष्ण पाल यादव को प्रत्याशी बनाया था. कृष्णपाल और ज्योतिरादित्य सिंधिया का कनेक्शन भी पुराना था. 

बेहद करीबी व्यक्ति ने हराया चुनाव
दिलचस्प बात ये है कि केपी यादव कभी सिंधिया के बेहद खास लोगों में शुमार किए जाते थे. यादव पहले सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि के रूप में भी काम कर चुके थे. लेकिन 2018 में विधायक चुनाव के टिकट को लेकर केपी यादव ने सिंधिया से दूरी बना ली थी. इसके बाद जब 2019 में उन्हें प्रत्याशी बनाया गया तो सिंधिया की पत्नी ने तंज किया था- 'जो कभी महाराज के साथ एक सेल्फी के लिए लाइन में लगे रहते थे, बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया है.'

कहते हैं इसी बात को लोगों ने दिल पर ले लिया और सिंधिया अपना चुनाव बुरी तरह हार गए. कृष्णपाल यादव को चुनाव 52.11 फीसदी वोट हासिल हुए थे. उन्हें कुल 614049 वोट हासिल किए थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया को 488500 वोट हासिल हुए थे यानी करीब 41.5 प्रतिशत वोट. उस चुनाव में उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में राहुल गांधी की चुनावी हार के बाद गुना के नतीजों ने पूरे देश को चौंका कर रख दिया था.

इस बार फिर चुनावी मैदान में हैं सिंधिया
अब इस बार भारतीय जनता पार्टी ने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी बनाया है. एक बार फिर उन पर गुना से जीत हासिल करने का दारोमदार है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस बार राव यादवेंद्र सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया है. सिंधिया के प्रभाव वाले क्षेत्र में राहुल और प्रियंका गांधी भी प्रचार कर कांग्रेस के लिए वोट मांगेंगे. 

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