अंबरीश पांडे/नई दिल्ली : हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट, एंटी थेफ्ट डिवाइसेस, तमाम प्रयासों के बावजूद वाहन चोरी की घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रहा. ऐसे में सरकार नई और एडवांस तकनीक लाने की तैयारी में है. इससे गाड़ी चोरी होने पर ट्रैक करना आसान होगा. चोर तुरंत धरे जाएंगे. नेशनल सेंटर फॉर कम्युनिकेशन सिक्योरिटी (NCCS)ने वाहन ट्रैकिंग डिवाइस के लिए इंडियन टेलीकम्युनिकेशन सिक्योरिटी एश्योरेंस (ITSAR) का ड्राफ्ट जारी किया है. सभी Stakeholders से 21 अप्रैल तक सुझाव मांगे गए हैं. डिवाइस निर्माता कंपनियों, एप्लिकेशन सर्विस प्रोवाइडर्स, इंडस्ट्री बॉडीज और एक्सपर्ट्स समेत तमाम स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगे गए हैं. 


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फास्ट ट्रैकिंग सिस्टम की आवश्यकता क्यूँ? 
चोरी हुई गाड़ी को पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर जब तक उसको खोजने की प्रक्रिया शुरू करती है, तब तक गाड़ी के पुर्जे-पु​र्जे बिक चुके होते हैं. NCCS के प्रस्तावित ड्राफ्ट के अनुसार, नया वाहन ट्रैकिंग डिवाइस ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS)का इस्तेमाल करेगा और डिजिटल मैप के साथ हर समय वाहन के स्थान के बारे में वास्तविक जानकारी देगा.


एडवांस तकनीक की जरूरत?
1.ये टेक्नोलॉजी निजी और पब्लिक व्हीकल्स के लिए बहुत उपयोगी. 
2.नए सिस्टम में ऑटोमेटिव ट्रैकिंग डिवाइस इंटीग्रेटेड इमरजेंसी सिस्टम होगा.
3.इससे वाहन में लगी डिवाइस एक नेटवर्क कम्युनिकेशन सेंटर से कनेक्ट रहेगी. 
4.सेंटर को गाड़ी की स्थिति, समय के साथ उसकी दिशा की जानकारी रियल टाइम में मिलती रहेगी. 
5.गाड़ी चोरी किए जाने के बाद उसे किस ओर ले जाया जा रहा है, चुराकर और छिपाकर कहां रखा गया है, ऐसी तमाम जानकारी मिल जाएगी.
6.डिवाइस से कनेक्टेड ऐप में एक एमरजेंसी बटन भी होगा, जिसे दबाते ही नेशनल नेटवर्क कम्युनिकेशन सेंटर को गाड़ी की स्थिति के बारे में अलर्ट चला जाएगा.
7.मौजूदा वाहन ट्रैकिंग डिवाइस वास्तविक समय में वाहन की पोजीशन ट्रैक करने में सक्षम तो हैं, लेकिन उसकी जानकारी वाहन मालिकों तक ही सीमित रहती है.
8.प्रस्तावित ट्रैकिंग सिस्टम एक नेशनल कम्युनिकेशन सेंटर से कनेक्टेड होगा. 


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प्रस्तावित डिवाइस में ट्रैकिंग जानकारी कुछ समय के लिए स्टोर किया जा सकेगा, जिसे भविष्य में डाउनलोड भी किया जा सकता है. यह एनालिसिस में मदद करेगा.ट्रैकिंग डिवाइस गाड़ी की पोजीशन, फ्यूल लेवल, स्पीड वगैरह ट्रैक करेगा. यह GPS यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम का इस्तेमाल करेगा और सेल्युलर नेटवर्क या वायरलेस के माध्यम से डेटा स्टोर और प्रसारित करेगा. नेटवर्क प्रोवाइडर के जरिये डेटा सर्वर तक जाएगा और वाहन मालिक के साथ ही नेशनल कम्युनिकेशन सेंटर को भी ये जानकारी पहुंच जाएगी.


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