लखनऊ : चैत्र नवरात्रि को लेकर भक्तों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. माता का दरबार सजाए जाने को लेकर मंडलियां बैठके कर रही हैं. कुछ ही दिन में माता रानी का भव्य दरबार सज जाएगा. आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के 9 दिन के पीछे की मान्यता.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1. चैत्र नवरात्र की शुरुआत के साथ ही प्रकृति में 9 दिनों में बड़े बदलाव होते हैं. नवरात्रि का समय ऋतु परिवर्तन के लिए जाना जाता है. सर्दी और गर्मी की इन दोनों महत्वपूर्ण ऋतुओं के मिलन या संधिकाल को नवरात्रि का नाम दिया गया है.
2. नवरात्र के समय में हमारी आंतरिक चेतना और शरीर में भी परिवर्तन होता है. ऋतु-प्रकृति का हमारे जीवन, सोच और धर्म में बहुत अहम स्थान रहा है. यदि आप नौ दिनों अन्य का त्याग कर भक्ति करते हैं तो आपका शरीर और मन साल भर स्वस्थ और निश्चिंत रहता है.


3. चैत्र नवरात्र में मां पार्वती के 9 रूपों की पूजा की जाती है. इन नौ रूपों से ही माता का संपूर्ण जीवन समाया हुआ है.


 4. माता के 9 रूप पूजे जाते हैं. इनमें 1.शैलपुत्री 2.ब्रह्मचारिणी 3.चंद्रघंटा 4.कुष्मांडा 5.स्कंदमाता 6.कात्यायनी 7.कालरात्रि 8.महागौरी 9.सिद्धिदात्री हैं.


5. मां दुर्गा ने धरती पर म​हिषासुर के आतंक को समाप्त किया था. क्योंकि महिषासुर का वरदान मिला था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय हासिल नहीं कर सकता. ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को खुश कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया. इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति से युक्त किया. ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला, तब से इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाया जाने लगा.


6. अंकों में नौ अंक पूर्ण होता है. नौ के बाद कोई अंक नहीं होता है.
 
7 ग्रहों में नौ ग्रहों को महत्वपूर्ण माना जाता है.
 
8. पार्वती, शंकर से प्रश्न करती हैं कि "नवरात्र किसे कहते हैं!" शंकर उन्हें प्रेमपूर्वक समझाते हैं- नव शक्तिभि: संयुक्त नवरात्रं तदुच्यते, एकैक देव-देवेशि! नवधा परितिष्ठता। अर्थात् नवरात्र नवशक्तियों से संयुक्त है. इसकी प्रत्येक तिथि को एक-एक शक्ति के पूजन का विधान है.
 
9. किसी भी मनुष्य के शरीर में सात चक्र होते हैं जो जागृत होने पर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में से 7 दिन तो चक्रों को जागृत करने की साधना की जाती है. 8वें दिन शक्ति को पूजा जाता है. नौंवा दिन शक्ति की सिद्धि का होता है। शक्ति की सिद्धि यानि हमारे भीतर शक्ति जागृत होती है.


WATCH: पहाड़ों और प्रकृति की गोद में बिताना चाहते हैं छुट्टियां, तो उत्तराखंड के ये 6 पर्यटन स्थल रहेंगे बेस्ट