लखनऊ/अरविंद कुमार मिश्रा: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के 1 करोड़ 91 लाख छात्र छात्राओं को बड़ी सौगात दी है. इन बच्चों के अभिभावकों के खातों में डीबीटी के जरिए 1200 रुपए ट्रांसफर किए गए हैं. यह राशि बच्चों के यूनिफॉर्म स्वेटर, स्कूल बैग, जूता-मोजा और स्टेशनरी के लिए दी गई है. प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार के मुताबिक पिछले साल 1 करोड़ 56 लाख से अधिक हितग्राहियों के खाते में पैसा भेजा गया था. डीबीटी करने से 166 करोड़ की धनराशि की बचत हुई. इस बार राज्य सरकार ने अभिभावकों के खातों में 1200-1200 रुपये भेजे हैं. इसमें दो यूनिफॉर्म के लिए इसमें 600 रुपये  , स्वेटर के लिए 200 रुपये, जूते मोजे के लिए 125 रुपये, 175 रुपये स्कूल बैग के लिए दिए गए हैं. योगी सरकार ने स्टेशनरी के लिए भी बच्चों को आर्थिक मदद दी है. 


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सरकारी स्कूलों में बढ़ेगा दाखिला
दरअसल 2017 में परिषदीय विद्यालय में छात्र छात्राओं की संख्या 1 करोड़ 52 लाख थी. योगी सरकार इसे  2 करोड़ के स्तर पर ले जाना चाहती है. ऐसा करके राज्य सरकार प्रदेश के स्कूलों में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को बढ़ाना चाहती है. यह वह दर है जो दाखिले की गणना व दर के लिए उपयोग में लाई जाती है. 


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सरकारी योजनाओं में बढ़ता डीबीटी का दायरा
योगी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में  75 हजार 984 करोड़ रुपये हितग्राहियों के खातों में सीधे डीबीटी के जरिए पहुंचाया था. इस दौरान लोगों को 146 योजनाओं का फायदा डीबीटी से मिला. इनमें पीएम किसान सम्मान निधि, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, एलपीजी के लिए तय सब्सिडी जैसी योजनाएं अहम हैं. दरअसल सरकारी योजनाओं के लिए तय बजट की बंदरबांट से निजात पाने के लिए 2013 में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम शुरू की गई. इससे जहां योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता आई वहीं वास्तविक हितग्राहियों तक पैसा पहुंचा. मौजूदा समय में राज्य के 30 विभागों की 167 योजनाएं को डीबीटी से जोड़ा जा चुका है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में अब तक राज्य सरकार 2 हजार 187 करोड़ रुपये डीबीटी के जरिए ट्रांसफर कर चुकी है. केंद्र सरकार के एक अनुमान के मुताबिक 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये डीबीटी की वजह से बचाए जा चुके हैं.



डीबीटी का मकसद
सरकारी योजनाओं के फर्जी लाभार्थियों की पहचान
भूगतान में होने वाली देरी से निजात
संसाधनों का बेहतर उपयोग


कैसे पहुंचता है आम आदमी तक डीबीटी का पैसा
डीबीटी स्कीम के तहत हितग्राही के बैंक खातों को आरबीआई द्वारा विकसित इंटिग्रेटेड प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाता है. विभिन्न सरकारी बैंकों में मौजूद हितग्राहियों के बैंक खातों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने में नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की सबसे अहम भूमिका होती है. हितग्राहियों की पहचान के लिए आधार नंबर प्राथमिक अनिवार्यता है. इसी उद्देश्य से जनधन, आधार और बैंक अकाउंट (जेएएम) को लिंक करने के लिए केंद्र, राज्य और विभिन्न बैंकों द्वारा अभियान चलाए जाते रहे हैं. जाहिर है डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम आज के दौर में गुड गवर्नेंस का सबसे प्रभावी माध्यम बन चुकी है.


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