CM योगी का मातृभूमि प्रेम: लखनऊ में किया उत्तराखंड महोत्सव का आगाज, जानें देवभूमि को लेकर क्या कहा
सीएम योगी ने कहा कि देश की रक्षा सेनाओं में उत्तराखंड के युवाओं का योगदान है. उत्तराखंड से आने वाली नदियों का पावन जल हम सबको शुद्ध पेय जल के रूप में जीवन देने का कार्य करता है.
लखनऊ: उत्तराखंड राज्य आज अपनी 21वीं वर्षगांठ मना रहा है. इसी अवसर पर यूपी की राजधानी लखनऊ में उत्तराखंड महोत्सव-2021 के कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसके उद्घाटन में सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने देश को बहुत कुछ दिया है. उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत, देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उत्तराखंड के रहने वाले हैं.
देश की रक्षा में उत्तराखंड के युवाओं का योगदान
सीएम योगी ने आगे कहा कि देश की रक्षा सेनाओं में उत्तराखंड के युवाओं का योगदान है. उत्तराखंड से आने वाली नदियों का पावन जल हम सबको शुद्ध पेय जल के रूप में जीवन देने का कार्य करता है. अन्न उत्पादन के माध्यम से हमारा भरण-पोषण करता है.
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उत्तराखंड वासियों को दी शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने इस खास मौके पर उत्तराखंड वासियों को शुभकामनाएं भी दी हैं. उन्होंने कू कर लिखा है, "प्राकृतिक सुरम्यता व सुष्मिता से पूरित तथा सनातन संस्कृति के अनेक प्रतीकों को संजोए देवभूमि उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस की सभी उत्तराखंड वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. ईश्वर से प्रार्थना है कि यह रमणीय प्रदेश प्रगति-पथ पर निरंतर गति करता रहे."
उत्तराखंड के मूल निवासी हैं
बता दें कि योगी आदित्यनाथ मूलरूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं. उनका जन्म उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश था) के पौड़ी जिला स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव के राजपूत परिवार में हुआ था. उनका मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है.
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क्या है उत्तराखंड का इतिहास?
9 नवंबर साल 2000 में उत्तराखंड का निर्माण हुआ था. उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी के काफी सारे जिलों को जोड़कर बनाया गया. इसके अलावा हिमालय माउंटेन रेंज के कुछ हिस्से को भी उत्तराखंड के निर्माण को बनाने में जोड़ा गया. बता दें कि पहले इसका नाम उत्तरांचल था, लेकिन 2007 में इसे बदल कर उत्तराखंड कर दिया गया. साल 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से पुकारा जाता था, लेकिन जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया. राज्य स्थापना के 21 साल बाद भी उत्तराखंड को स्थायी राजधानी नहीं मिल सकी है. देहरादून आज भी अस्थायी राजधानी है और गैरसैंण को बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया.
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