Divya Kakran: पहलवानों के परिवार से आती हैं ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली दिव्या काकरान, पिता-भाई से सीखे अखाड़े में दांव-पेच
Divya Kakran: भारत की महिला पहलवान दिव्या काकरान ने शुक्रवार को अपनी विरोधी पहलवान को महज 30 सेकेंड में पटखनी देकर लगातार दूसरी बार राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक पर कब्जा कर लिया..दिव्या यूपी के मुजफ्फरनगर की रहने वाली हैं...उनके खून में पहलवानी है..जानिए उनके बारे में कुछ बातें
Commonwealth Games 2022: बर्मिंघम (Birmingham) में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय पहलवान लगातार अपना शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक के गोल्ड मेडल और अंशु मलिक के रजत पदक के बाद महिला पहलवान दिव्या काकरान ने 68 किलोग्राम भारवर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया है. कुश्ती में भारत को पांचवा पदक मिला है. कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की पदकों की संख्या 25 पहुंच गई है.
टोंगा की टाइगर लिली को किया चित
भारत की युवा महिला पहलवान दिव्या काकरान ने राष्ट्रमंडल खेल 2022 में टोंगा की टाइगर लिली लेमाली को मात दे दिव्या ने कांस्य पदक मैच में टाइगर लिली को हराने के लिये सिर्फ 30 सेकंड का समय लिया. दिल्ली स्टेट चैंपियनशिप में 60 पदक जीत चुकी दिव्या ने मैच शुरू होते ही टाइगर लिली को अपनी गिरफ्त में कस लिया और उन्हें चित्त (विन बाई फॉल) करके मुकाबला जीता.
2018 कॉमनवेल्थ गेम में जीता था कांस्य
बता दें कि कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की पदकों की संख्या 25 पहुंच गई है. दिव्या काकरान हालांकि फ्रीस्टाइल 68 किग्रा क्वार्टरफाइनल में नाईजीरिया की ब्लेसिंग ओबोरूडुडू से तकनीकी श्रेष्ठता (0-11) से हार गईं थीं जिससे वह रेपेशाज में उतरीं. इसके पहले भी 2018 में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में दिव्या काकरान ने कांस्य पदक अपने नाम किया था.हालांकि, दोनों बार दिव्या काकरान को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा है.
मूलरूप से मुजफ्फरनगर की रहने वाली हैं दिव्या
दिव्या का परिवार मूलरूप से यूपी के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) का रहने वाला है. दिव्या के पिता सूरज भी पहलवान हैं. दिव्या का परिवार के साथ एक छोटे से घर में पिछले 20 साल से किराये पर रह रहा है.
पिता के साथ दोनों भाई भी पहलवान
दिव्या के दो भाई हैं. और दोनों ही भाई पहलवानी करते हैं. दिव्या ने अपने बड़े भाई देव काकरान के साथ देशी अखाड़े से पहलवानी करना शुरू किया था. अखाड़े की माटी का रंग दिव्या पर ऐसा चढ़ा की, फिर उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. दिव्या क्षेत्रीय प्रतियोगिता से लेकर अंतरराष्ट्रीय खेल में बहुत से पदक जीत चुकी हैं.
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