लखनऊ : यूपी की बिजली कंपनियों को बड़ा झटका लगा है. यूपी विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं के हित में फैसला दिया है. अब बिजली कंपनियां स्मार्ट मीटर की रकम उपभोक्ता से नहीं वसूल पाएंगी. नियामक आयोग ने विद्युत कंपनियों को खुद के खर्च पर मीटर बदलने को कहा है. आयोग का कहना है कि कनेक्शन लेते समय ही उपभोक्ता मीटर का चार्ज देता है, ऐसे में दूसरी बार स्मार्ट मीटर के लिए उपभोक्ता से यह नहीं वसूला जा सकता. नियामक आयोग ने कहा है कि नई दरें तय करते समय 


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बिजली उपभोग भी 15 फीसदी बढ़ा है, सरकार की सब्सिडी घटाने और कितनी बिलिंग हो रही यह भी देखा जएगा. इससे पहले उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश सरकार से बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी की जांच की मांग की थी.उपभोक्ता परिषद ने इसके विरोध में विद्युत नियामक आयोग में याचिका भी डाली थी.


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दरअसल कई जगह स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनियों पर मनमानी का आरोप लगा था.  2018-19 में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेस लिमिटेड (ईईएसएल) को 40 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का काम दिया था. मौजूदा समय में पुरानी तकनीक 2जी व 3जी आधारित लगभग 12 लाख स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के यहां लगे हैं. इससे पहले मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के न्यूनतम निविदा दाता अडानी के उच्च दरों वाले टेंडर को निरस्त कर दिया था. उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया था कि मीटर 6000 रुपए का पड़ रहा है,जबकि अडानी ग्रुप में 10 हजार रुपए का रेट लगाया था. उसी पर आपत्ति लगी थी. अब उसका टेंडर कैंसिल कर दिया गया है. मीटर पर 48 फीसदी से लेकर 65 फीसदी तक रेट बढ़ाया गया था.


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