कमल किशोर/पौड़ी गढ़वाल: अलकनंदा नदी पर बने झील के बीचों-बीच भव्य मंदिर में गूंज रहे मां धारी देवी के जय कारे. चार धामों की रक्षक कहे जाने वाली मां धारी देवी 9 साल बाद पिल्लरों से बने नए मंदिर में विराजमान हो गई हैं. जानकारी के मुताबिक 2013 में इस नए मंदिर के ठीक नीचे मां धारी देवी का प्रसिद्ध मंदिर था, जो जल विद्युत परियोजना की झील में डूब गया था. 


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10 साल से अस्थाई मंदिर में थी मां धारी देवी
2013 में जल विद्युत परियोजना द्वारा मंदिर को अपलिफ्ट किये जाने के बाद से ही मां धारी यहां अस्थाई मंदिर में निवास कर रहीं थी. जिसके बाद आज विधि विधान के साथ मां धारी देवी को नए मंदिर में स्थापित किया गया है. कहा जाता है कि 2013 में मूर्ति के अपने मूल स्थान से हटाये जाने के कुछ घंटों बाद ही उत्तराखण्ड़ में  प्रलय आया था. आज मूल स्थान के ठीक उपर ही झील में मां के मंदिर बन जाने के बाद विधि विधि विधान और मंत्रो उच्चारण के साथ मां धारी देवी को विराजमान स्थापित किया. 


सुबह 4 बजे से लगा श्रद्वालुओं का तांता
धारी देवी के नए मंदिर में विराजमान होने के अवसर पर सुबह चार  बजे से ही श्रद्वालुओं का तांता मंदिर में लगना शुरू हो गया. वहीं इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्वालु धारी देवी मंदिर में मौजूद रहे. अलकनंदा नदी के बीचों-बीच बने धारी देवी के नए मंदिर के आस-पास के क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित किए जाने की भी स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं, जिससे कि यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुधर सके.


सुबह 10 बजे खुले मां के कपाट, पुलिस रही सतर्क 
मूर्ति शिफ्टिंग प्रक्रिया के दौरान किसी तरह का कोई हुडदंग न हो. इसके लिए प्रशासन द्वारा 50 से अधिक पुलिस के जवानों को मौके पर तैनात किया. वहीं दूसरी ओर 10 बजे तक श्रद्धालुओं को भी मंदिर परिसर से दूर रखा गया. ताकि मूर्ति को नए  मंदिर में शांतिपूर्ण तरीके से स्थापित की जा सके. जानकारी के अनुसार मां धारी देवी के कपाट सुबह 10 बजे के बाद श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए.