मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: बाहरी वकीलों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज नियुक्त करने के कॉलेजियम के प्रस्ताव का इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कड़ा विरोध किया है. शुक्रवार और शनिवार को हाईकोर्ट के वकीलों ने न्यायिक कार्य से अलग रहने का फैसला लिया था. यही नहीं मांग न माने जाने पर वकील अब एक बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं. 


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बड़े आंदोलन की तैयारी
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव सत्य धीर सिंह जादौन ने कहा कि हाईकोर्ट प्रशासन अगर बाहर से आने वाले आयातित लोगों को जज बनाने से पीछे नहीं हटा तो इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता एक बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. इसके लिए बार एसोसिएशन ने तैयारी भी बना ली है. उन्होंने कहा है कि आने वाले 9 अक्टूबर से पहले उत्तर प्रदेश और देश भर के सभी बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मिलकर एक बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे. जिसमें एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा कि किसी भी हाईकोर्ट में बाहरी वकीलों को जज ना बनाया जाए. 


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20 हजार से अधिक अधिवक्ता हैं
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधा कांत ओझा का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में बीस हजार के करीब अधिवक्ता प्रैक्टिस करते हैं. योग्य अधिवक्ता होने के बाद भी बाहर से लेकर थोपा जाता है, जिससे मुकदमों की सुनवाई में भी कठिनाई होती है. उन्होंने कहा है कि कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर आपत्ति जाहिर की गई है अगर आने वाले दिनों में इन समस्याओं का निदान नहीं होता है तो इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता एक बड़े आंदोलन के लिए तैयार हो चुके हैं.


60 पद खाली हैं
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में 160 जजों के पद है, जिसमें मौजूदा समय में 60 पद खाली हैं. जिसको भरने के लिए 16 नए नाम पिछले दिनों कॉलेजियम को भेजे गए थे. जिसमें 4 नाम सुप्रीम कोर्ट से संबंधित बताए गए थे, जिसके बाद से इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन विरोध में खड़ा हो गया है. हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं का कहना है कि बाहरी वकीलों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज बनाने की कोशिश से साफ है कि यहां के वकीलों की अनदेखी की जा रही है, जो कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हालांकि सवाल यह भी उठता है कि भारत में नागरिकों को किसी भी जगह नौकरी और नियुक्ति हासिल करने का जब अधिकार है, तो न्याय के मंदिर कहे जाने वाले उच्च न्यायालयों में ही यदि क्षेत्र और स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा उठाना कितना जायज है.