Driving Lisense New Rules: ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के नियमों में एक बड़ा बदलाव किया गया है. इसलिए अगर अब आप अपना लर्निंग लाइसेंस बनवाने का प्लान कर रहे हैं तो आपको यह जानना होगा कि अब सड़क शिष्टाचार सीखना भी बेहद जरूरी है. देशभर में बढ़ते रोड एक्सीडेंट्स, रोड रेज के केसेस और मृतकों की संख्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है. इसलिए अब करीब 33 साल बाद डीएल बनवाने के नियमों में बदलाव किया गया है. 


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डीएल बनवाने से पहले पूरी करनी होगी ट्रेनिंग
खास बात यह है कि अब लर्निंग ड्राइवर्स को सैद्धांतिक और व्यावहारिक पाठ पढ़ाया जाने वाला है. उन्हें यह बताया जाएगा कि रोड रेज की स्थिति बने तो उससे कैसे निपटना चाहिए. अगर माफी मांग लेने से भर से मामला शांत हो सकता है, तो बड़े विवाद से बचने का अच्छा तरीका है. 


बिना ट्रेनिंग सर्टिफिकेट के नहीं बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport & Highways) ने कुछ दिन पहले ही इसको लेक रदिशा निर्देश जारी किए हैं. निर्देशों के तहत मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर (DTC) में लर्निंग डीएल बनवाने से पहले एप्लीकेंट्स को ट्रेनिंग दी जाएगी. दो से चार पहिया गाड़ियों के लिए यह ट्रेनिंग एक हफ्ते की होगी. वहीं, आने वाले समय में जब आप डीएल बनवाने जाएंगे तो डीटीसी का यह ट्रेनिंग सर्टिफिकेट होना बेहद जरूरी होगा. इसके बिना आपको लर्निंग डीएल मिलेगा ही नहीं.


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कैसे ली जा सकती है ट्रेनिंग?
आपको बता दें कि अप्लाई करने वाला व्यक्ति पोर्टल पर जाकर या फिर सुविधा केंद्र की मदद से यह ट्रेनिंग ले सकते हैं. जानकारी के मुताबिक, यह ट्रेनिंग 20 सेशन में बांटा गया है. हाई स्पीड गाड़ियों, ट्रैफिक कंजेशन, ट्रैफिक जाम, रोड रेज के मामले, आदि को देखते हुए एप्लीकेंट्स को जनसंपर्क, सड़क शिष्टाचार और रोड रेज को लेकर पाठ पढ़ाया जाएगा. इस दौरान उन्हें यह सीखने को मिलेगा कि केवल सॉरी बोल देने से किस तरह से मामले का निपटारा किया जा सकता है. जैसे- एक्सीडेंट हो जाने पर शांत रहना है, दूसरे को गलतियां समझाने की कोशिश न करना और अपनी भाषा पर कंट्रोल रखना, आदि.


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गोल्डन आवर से लेकर ड्राइविंग के तरीकों तक... सब सिखाया जाएगा
इसके अलावा, ट्रेनिंग में ‘फर्स्ट एड' और 'गोल्डन आवर' का महत्व भी बताया जाएगा. ब्लड फ्लो कैसे रोका जाना चाहिए, एबुलेंस और क्रेन को कैसे बुलाया जाना चाहिए, किन जरूरी नंबरों पर फोन करना चाहिए, आदि. इसके अलावा, दो पहिया ड्राइवर्स को किन तरीकों के खतरे होते हैं, हेलमेट लगाने के क्या फायदे होते हैं, पिछली सीट पर बैठी सवारी को किस तरह का खतरा हो सकता है, आगे-पीछे के ब्रेक लगाने के तरीके किया हैं, गलत साइड ड्राइविंग करने के क्या नुकसान हैं, ओवर स्पीड क्यों नहीं करनी चाहिए, आदि भी सिखाया और समझाया जाएगा. इतना ही नहीं, एक लेन रोड, दो-चार लेन नेशनल और स्टेट हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर गाड़ियां कैसे चलानी चाहिए, इसकी भी प्रैक्टिस कराई जाएगी. 


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