2 June ki Roti: आज की तारीख, 2 जून बहुत खास है. इस तारीख के आने से पहले ही सोशल मीडिया पर यह डेट ट्रेंड करने लगती है. इंटरनेट पर कहावतें और जोक्स की बहार आने लगती है. यह बात हम बचपन से अपने बड़े-बुजुर्गों से सुनते और किताबों में पढ़ते आ रहे हैं कि 'दो जून की रोटी' बड़े नसीब वालों को मिलती है. इसके लिए लोगों को किस-किस तरह के जुगाड़ करने पड़ते हैं, यह बताने की जरूरत नहीं है.  क्योंकि आज दो जून है, तो आज का दिन काफी ट्रेंड कर रहा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जानें क्या है दो जून का मतलब
दो जून का सीधा सा मतलब है कि एक दिन में दो समय का खाना मिलना. जिनको दिन में दो वक्त का खाना मिलता है वह खुशनसीब कहे जाते हैं क्योंकि उन्हें 'दो जून की रोटी' मिल रही है. जिनको मेहनत के बावजूद दोनों टाइम का खाना नहीं मिल पाता उनके लिए मुश्किल है. वैसे इस बारे में अब तक यह भी नहीं पता चला है कि इस मुहावरे की शुरुआत कहां से हुई है लेकिन इसका शाब्दिक अर्थ जरुर सामने है.


हिंदी में दो जून की रोटी
हलांकि दो जून उत्तर भारत में खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में काफी मशहूर है. क्योंकि इस भाषा का इस्तेमाल इसी भाषा में होता है. यह लोकोक्ति तब प्रचलन में आई जब मुंशी प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद जैसे बड़े साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में इसका भरपूर इस्तेमाल किया था.  प्रेमचंद की कहानी 'नमक का दरोगा' में इस लोकोक्ति का जिक्र किया गया है. इतिहासकारों और जानकारों का कहना है कि  जून गर्मी का महीना है. और  इस महीने में अक्सर सूखा पड़ता है. जिसकी वजह से चारे-पानी की कमी हो जाती है. जून में ऐसे इलाकों में रह रहे परिवारों को दो वक्त की रोटी के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.  इन्हीं हालातों में 'दो जून की रोटी' प्रचलन में आई होगी.


अवधी में दो जून 
अवधी भाषा में 'जून' का मतलब 'वक्त' होता है. 'दो जून की रोटी' का मतलब है कि आपको दिन में दो वक्त का खाना मिल रहा है. इसका मतलब आप संपन्न हैं. अगर किसी को 'दो जून' यानी 'दो वक्त' का खाना नहीं मिल पा रहा है तो उसके बारे में कहा जाता है कि बहुत मेहनत करने के बाद भी 'दो जून की रोटी' नसीब नहीं, मतलब 'दो वक्त का खाना' नहीं मिल पाता.   हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, यह कहावत कोई साल दो साल या फिर 10-20 साल से नहीं कही जा रही.  यह बात हमारे पूर्वज बीते करीब छह सौ साल से प्रयोग कर रहे हैं. 


अंग्रेजी में दो जून का मतलब
अगर ठीक से दो जून का मतलब निकालेंगे तो अंग्रेजी के छठे महीने का नाम जून है. चूंकि आज अंग्रेजी महीने जून की दो तारीख है. इसलिए आज 'दो जून' है. 


2 वक्त का भोजन और मूलभूत अधिकार 
युनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ़ ह्यूमन राइट्स (UDHR) अर्टिकल 25 के अनुसार जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को व्यक्ति का अधिकार बनाया गया हैं जिसमें भोजन भी शामिल हैं. भारत में भोजन का अधिकार सबसे मूलभूत अधिकारों में शामिल हैं. 


आज भी नहीं मिल पाती दो जून की रोटी
ख्याल रहे भारत में अब भी ऐसे लोग बसते हैं जिनको 'दो जून की रोटी' नहीं मिल पाती. साल 2017 में नेशनल फैमिली हेल्थ के सर्वे के मुताबिक भारत में 19 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें 'दो जून की रोटी' नहीं मिल पाती. लोगों को 'दो जून की रोटी' मिल सके इसलिए सरकार ने कोरोना काल में लोगों को मुफ्त राशन बांटा. बताया जाता है कि इस योजना से तकरीबन 80 करोड़ लोगों को फायदा मिला.


सरकारें देश में गरीबी दूर करने के लिए कई योजनाएं लेकर आती रही है. करोड़ों-अरबों रुपये इन योजनाओं के जरिए गरीबी दूर करने के लिए होता रहाहै. इसके बाद आज भी करोड़ों लोग है जिनको पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है. कोरोना काल में केंद्र सरकार ने सभी लोगों को दो जून की रोटी नसीब कराने के लिए मुफ्त में राशन मुहैया कराया था, जिसका फायदा करीब 80 करोड़ जनता को मिला था. 


Ground Breaking Ceremony UP: यूपी के विकास को नई दिशा देगी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी, जानें क्यों है खास?


आज की ताजा खबर: यूपी-उत्तराखंड की इन बड़ी खबरों पर बनी रहेगी नजर, एक क्लिक पर पढ़ें 2 जून के बड़े समाचार


WATCH LIVE TV