Bhimrao Ambedkar Jayanti 2023: डॉ भीमराव अंबेडकर की आज 14 अप्रैल को 133 वीं जयंती है. ये जयंती देश में हर साल मनाई जाती है. बाबा साहब एक कुशल राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक के नाम से विश्व विख्यात थे.  उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के दलित और  पिछड़ों के लिए समर्पित कर दिया था. केंद्र सरकार ने अंबेडकर जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया है. बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने गांव और वार्ड स्तर पर जयंती समारोह मनाने का फैसला किया है. इसमें संविधान निर्माता डॉक्टर अंबेडकर के बारे में बताया जाएगा. अंबेजकर जयंती पर पीएम मोदी, सीएम योगी, बीएसपी चीफ मायावती ने उनको नमन किया है...पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा-समाज के वंचित और शोषित वर्ग के सशक्तिकरण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले पूज्य बाबासाहेब को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। जय भीम!


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बसपा चीफ मायावती ने अंबेडकर जयंती पर ट्वीट करते हुए लिखा- अति-मानवतावादी व कल्याणकारी संविधान देकर आधुनिक भारत की मजबूत नींव रखने वाले परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को आज उनकी जयंती पर शत-शत नमन व अपार श्रद्धा सुमन अर्पित। उनका जीवन संघर्ष करोड़ों गरीबों, मजदूरों, वंचितों व अन्य मेहनतकशों के लिए आज भी उम्मीद की किरण।



दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा- उनसे प्रेरणा लेकर उनके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के रुके कारवाँ को आगे बढ़ाने तथा जाति के आधार पर तोड़े गए लोगों को जोड़ने के लिए आज ही के दिन 14 अप्रैल सन 1984 को बहुजन समाज पार्टी की देश में स्थापना की गई, जो खासकर यूपी में सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति की मिसाल बना।


बाबा साहब अबेडकर जयंती पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर उनको विनम्र श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने लिखा-'भारत रत्न' बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
भारत के सर्व-समावेशी संविधान के निर्माता, महान समाज सुधारक एवं विधिवेत्ता, 'भारत रत्न' बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!शोषितों व वंचितों के उत्थान और समरस समाज के निर्माण हेतु उनका योगदान हम सभी के लिए पथ-प्रदर्शक है.




मध्य प्रदेश के गांव में हुआ था बाबा साहब का जन्म
बाबा साहब का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में हुआ था.  बाबासाहेब के नाम से पहचाने जाने वाले आंबेडकर अपने 14 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे.  उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था. उनकी मां का नाम भीमाबाई था.  दलित समाज में जन्म लेने के कारण उन्हें समाज की कुरीतियों और नफरत  का शिकार होना पड़ा था.  सभी चीजों को दरकिनार करते हुए भीमराव अंबेडकर ने शिक्षा के क्षेत्र में महारथ हासिल की.  इसके बाद भी उन्होंने जनकल्याण का काम नहीं छोड़ा. वह दलितों और महिलाओं के विकास के लिए हमेशा जुटे रहे. डॉ. अंबेडकर की जयंती पर उनके जनकल्याण के लिए किए गए अभूतपूर्व योगदान को याद किया जाता है. बाबा साहेब निचले तबके से तालुक रखते थे. बचपन से ही समाजिक भेदभाव का शिकार हुए. यही वजह थी कि समाज सुधारक बाबा भीमराव अंबेडकर ने जीवन भर कमजोर लोगों के अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष किया. महिलाओं को सशक्त बनाया. 


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