Rajendra prasad Birth Anniversary: भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद (First President of India)की आज 137वीं जयंती है. देश के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास का जब भी कोई जिक्र होता है तो डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra prasad) का नाम सबसे ऊपर हमेशा आता है. डॉ राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति और महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी (freedom fighter) थे. वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई थी. राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. सम्मान से उन्हें लोग "राजेन्द्र बाबू" के नाम से भी बुलाया करते थे. 


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डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सारण जिले (अब सीवान) के एक गांव में हुआ था. उनके पिता महादेव सहाय संस्कृत और फारसी के विद्वान थे. उनकी माता कमलेश्वरी देवी एक धर्मपरायण (धर्म में विश्वास रखने वाली) महिला थीं. अपने पांच भाई बहनों में राजेंद्र प्रसाद सबसे छोटे थे. सबसे छोटे होने की वजह से बचपन में राजेंद्र बाबू को भरपूर प्यार और दुलार मिला. वे बचपन से ही सुबह बहुत जल्दी उठने के आदी थे. उनका पढ़ाई के प्रति बचपन से ही काफी लगाव था. वे हमेशा अपने पढ़ाई पर ध्यान दिया करते थे.


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राजेन्द्र प्रसाद के पूर्वज मूलरूप से कुआंगांव अमोढ़ा ,उत्तर प्रदेश के निवासी थे. फिर उनका परिवार बलिया चला गया, लेकिन परिवार वालों को बलिया रास नहीं आया, इसलिए वे वहां से बिहार के जिला सारण चले गए. वे 5 साल के थे, जब एक मौलवी साहब से फारसी की क्लासेस लेने लगे. इसके बाद प्रारंभिक शिक्षा के लिए राजेंद्र प्रसाद छपरा आ गए. महज 13 साल की उम्र में, पढ़ाई के बीच ही उनकी शादी हो गई. उनकी पत्नी राजवंशी देवी से थीं. शादी के बाद भी उन्होंने पटना की टीके घोष अकादमी से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की. 


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18 साल की उम्र में राजेंद्र प्रसाद ने कोलकाता यूनिवर्सिटी का एंट्रेंस एग्जाम दिया. उस परीक्षा में वे प्रथम आए. इसके बाद 1902 में उन्होंने कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसिडेंसी कॉलेज में एडमिशन ले लिया. 1915 में राजेंद्र प्रसाद ने गोल्ड मेडल के साथ विधि मास्टर्स इन लॉ पूरा किया. और बाद में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से लॉ में ही डॉक्ट्रेट हासिल किया.


अपनी ऑटोबायोग्राफी के अलावा भी डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कई किताबें लिखी थीं. इनमें से "बापू के कदमों में बाबू", "सत्याग्रह ऐट चम्पारण", "इण्डिया डिवाइडेड", "भारतीय संस्कृति, "गांधी जी की देन" और "खादी का अर्थशास्त्र" आदि हैं. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति तो बने ही, साथ ही उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था. 


गौरतलब है कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक ही नेता है, जो दो बार देश के राष्ट्रपति रहे. उनका पेशा वकालत थी, लेकिन राजनीति में उन्होंने पूरा योगदान दिया. आजादी के संघर्ष में वे कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे. राजेंद्र प्रसाद ऐसे नेता थे, जो खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचते थे. उन्होंने अपना भविष्य त्यागकर गरीबों और दीन किसानों के बीच काम करना स्वीकार किया. 1950 में संविधान सभा की आखिरी बैठक में वे राष्‍ट्रपति चुने गए और 26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962 तक देश के पहले राष्‍ट्रपति रहे. राष्ट्रपति बनने के बाद राजेंद्र प्रसाद ने कई सारे सामाजिक कार्य किए. 


1962 में राष्ट्रपति पद से हट जाने के बाद उन्हें भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. अपने जीवन के आख़िरी कुछ पलों के बिताने के लिए उन्होंने पटना के पास सदाकत आश्रम चुना. यहां पर ही 28 फरवरी 1963 में उनका निधन हो गया.



इस अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करके लिखा कि, "महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, देश के प्रथम राष्ट्रपति, 'सादा जीवन-उच्च विचार' सिद्धांत को अपने जीवन में धारण करने वाले 'भारत रत्न' डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन. राष्ट्र निर्माण में आपका अतुल्य व अविस्मरणीय योगदान प्रत्येक भारतीय के लिए महान प्रेरणा है."


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