गौतमबुद्ध नगर: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में ग्रेटर नोएडा से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर बिसरख गांव है. इसे रावण का गांव माना जाता है. कहा जाता है कि यहीं पर लंकेश का जन्म हुआ था. इसलिए बिसरख में न रामलीला का आयोजन होता है और न ही रावण का दहन किया जाता है. क्योंकि ग्रामीणों के लिए रावण कोई राक्षस नहीं, बल्कि उनके बेटे जैसा है. जानकारी के मुताबिक, रावण के पिता विश्रवा ब्राह्मण ही थे. लेकिन, उन्होंने राक्षसों की राजकुमारी कैकसी से विवाह किया था.


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देश खुशियां मनाता है और बिसरख मातम 
इतना ही नहीं, इसी गांव में रावण के बाद अलावा कुंभकरण, सूर्पणखा और विभीषण ने भी जन्म लाय. इसी वजह से जब पूरा देश बुराई पर श्रीराम की जीत की खुशियां मनाता है, तब इस गांव में रावण की मौत का शोक मनाया जाता है. दशहरा के दिन यहां मातम का माहौल होता है. 


रामलीला आयोजित हुई, तो गांव में होने लगीं मौतें
बताया जाता है कि गांव के लोगों ने यहां दो बार रामलीला का आयोजन किया और रावण दहन भी. लेकिन, दोनों बार रामलीला के दौरान ही किसी न किसी की मौत हो गई. इसलिए इसके बाद से यहां कभी रावण दहन नहीं हुआ. अब बिसरख में रावण की आत्मा की शांति के लिए हवन किए जाते हैं. इसी के साथ, नवरात्रि के दौरान शिवलिंग पर बलि भी चढ़ाई जाती है.


बिसरख में ही प्राप्त की रावण ने शिक्षा
माना जाता है कि बिसरख रावण के पिता विश्रवा ऋषि का गांव था. उन्हीं के नाम पर इस गांव का नाम बिसरख पड़ा. विश्रवा ऋषि यहां रोजाना पूजा करते थे. उनके पुत्र रावण की जन्मस्थली भी यही है. इसके अलावा, पूरे देश में बिसरख ही ऐसी जगह है, जहां अष्टभुजीय शिवलिंग हैं. यहीं पर रावण ने अपनी शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की थी. 


इन शिवलिंग की स्थापना रावण ने ही की
मान्यता है कि हिंडन नदी (जिसका प्राचीन नाम हरनंदी नदी है) के मुहाने पर बने पुरा महादेव शिवलिंग, दुधेश्वर नाथ शिवलिंग, बिसरख स्थित शिवलिंग को रावण ने ही भक्ति भाव से स्थापित किया था.


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