Agnipath Scheme को युवाओं का समर्थन, कहा- देश हमारा, संपत्ति हमारी, इसको नुकसान क्यों पहुंचाया जा रहा?
Agnipath Scheme Support: एक और युवा ने कहा कि सरकार 4 साल की जगह इसकी कुछ अवधि बढ़ा सकती थी. वहीं, किसी ने कयास लगाए कि शायद 4 साल की नियुक्ति रक्षा बजट बढ़ाने को लेकर की जा रही है. अगर ऐसा है तो सभी नेताओं की भी पेंशन खत्म होनी चाहिए...
गौरव श्रीवास्तव/इटावा: एक तरफ देशभर में केंद्र सरकार द्वारा लाई गई अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) का युवा बहिष्कार कर रहे हैं और सड़कों पर निकलकर उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं. तो वहीं, उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के लखना कस्बे से एक अलग ही नज़ारा सामने आया है. इटावा के सैकड़ों युवाओं ने इस अग्निपथ योजना का समर्थन किया है.
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युवाओं कर रहे अग्निपथ ओजना का समर्थन
दरअसल, लखना में कई युवा सेना में अपना भविष्य बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. जब उन युवाओं से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लाई गई अग्निपथ योजना का हम समर्थन करते हैं.
अहिंसा के पथ पर चलकर मिली स्वतंत्रता, अब हिंसा क्यों?
एक युवा संजय ने इस योजना को लेकर कहा कि पहली बार इतनी बड़ी तादाद में भर्ती आई है और इस भर्ती से ज़्यादा युवाओं को सेना में जाने का अवसर मिलेगा. उन्होंने हिंसा को लेकर कहा कि महात्मा गांधी ने देश को आज़ादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई और ये आज़ादी बिना हिंसा के जीती भी. हमें अगर किसी चीज़ का विरोध करना भी है, तो हिंसा करना कोई रास्ता नहीं है, बल्कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करना चाहिए. युवाओं का कहना है कि अगर हमारे मां-बाप कड़ा फैसला लेते हैं तो क्या हम अपने घर में आग लगा देंगे? देश की संपत्ति हमारी संपत्ति है और इसको नुकसान पहुंचाना किसी भी सूरत में ठीक नहीं है.
कुछ का कहना-बढ़ाई जा सकती है अवधि
वहीं, एक और युवा ने कहा कि सरकार 4 साल की जगह इसकी कुछ अवधि बढ़ा सकती थी. वहीं, किसी ने कयास लगाए कि शायद 4 साल की नियुक्ति रक्षा बजट बढ़ाने को लेकर की जा रही है. अगर ऐसा है तो सभी नेताओं की भी पेंशन खत्म होनी चाहिए. इससे काफी रुपया बचेगा और उस रुपये को सेना के ऊपर लगा देना चाहिए.
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हिंसा करने वालों का समर्थन नहीं करते
एक अन्य युवा अभय प्रताप सिंह ने अग्निपथ योजना को लेकर कहा कि सरकार द्वारा लाई गई योजना काफी अच्छी है. इस योजना से अधिक से अधिक युवाओं को मौका मिलेगा और 4 साल के बाद 25 प्रतिशत युवाओं को सरकार परमानेंट भी कर रही है. साथ ही 4 साल बाद जो युवा बाहर आएंगे उन्हें 12 लाख रुपये भी मिलेंगे. सरकार जो योजना लाई है, उसका हम समर्थन करते हैं. युवा ने कहा कि जिन लोगों ने हिंसा की है, उनका समर्थन हम बिल्कुल नहीं करते हैं।
एग्जाम पास करने वालों के बारे में सोचे सरकार
युवाओं का कहना था कि देश सेवा हमारे लिए सर्वोपरि है, लेकिन सरकार को उन युवाओं की ओर ध्यान देना होगा, जिन्होंने परीक्षा पास की है. जिनकी जॉइनिंग होनी थी, उनके लिए सरकार को कुछ ज़रूर सोचना चाहिए. क्योंकि कड़ी मेहनत करके उन्होंने सभी परीक्षाएं पास की हैं. हमें आशा है कि सरकार उन युवाओं के बारे में ज़रूर कुछ सोचेगी.
हिंसा ने आमजन का ही किया नुकसान
सेना में जाने की तैयारी कर रही छात्रा मधु ने कहा कि सरकार अगर इस योजना को लेकर आई है तो कहीं न कहीं कुछ सोच समझकर ही लाई होगी. छात्रा ने कहा कि हिंसा करना कोई रास्ता नहीं है. यह भर्ती काफी वक्त बाद आई है. इस भर्ती से ज़्यादा से ज़्यादा युवा सेना से जुड़ पाएंगे. इस हिंसा से आम जनता का ही नुकसान हुआ है. लोग काफी मुश्किल से सब कुछ ले पाते हैं और इस हिंसा में कई लोगों का काफी नुकसान हुआ है.
देश की सेवा करने का सौभाग्य
युवाओं ने कहा, अग्निपथ के सर्टिफिकेट से सरकारी विभागों में निकलने वाली भर्तियों में कुछ प्रतिशत की छूट मिल सकती है. हम अग्निपथ स्कीम के समर्थन में हैं. ऐसे में एक युवा को देश की सेवा करने का सौभाग्य भी मिलेगा.
योजना को लेकर युवा भ्रमित
वहीं, युवाओं को तैयारी करा रहे जंग बहादुर सिंह ने युवाओं द्वारा पूरे देश में की गई हिंसा को लेकर कहा कि देश की संपत्ति हमारी सबकी संपत्ति है और उसको इस तरह से तहस-नहस करना कहीं से भी उचित नहीं है. युवा अभी इस योजना को लेकर भ्रमित हैं. अग्निपथ योजना युवाओं के लिए फायदेमंद साबित होगी और अधिक युवाओं को इस योजना के तहत देश की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त होगा.
भर्ती की तैयारी करने वाले युवा अग्निपथ के समर्थन में
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने अगर कोई योजना बनाई है तो कुछ सोच समझकर ही बनाई होगी. इस योजना से रोजगार के ज़्यादा अवसर पैदा होंगे. इस योजना से पहले भर्ती होती थी तो क्या उसमें सभी युवा चयनित हो जाते थे? उसमें से भी 75 प्रतिशत युवा बाहर आ जाते थे. उन्होंने कहा कि मेरी एकेडमी में जितने भी हैं सभी भर्ती की तैयारी कर रहे हैं. हमारे सभी बच्चे अग्निपथ योजना का समर्थन कर रहे हैं.
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