Rudrabhishek in Sawan 2023: 3 जुलाई से भगवान शिव की पूजा का पवित्र महीना सावन शुरू हो गया है. धर्म ग्रंथों में महादेव के अभिषेक की महिमा का काफी बखान किया गया है. मान्यता है कि भगवान रुद्र अपने अभिषेक से प्रसन्न हो जाते हैं, इसीलिए भक्त तरह-तरह से उनका अभिषेक करते हैं. भोलेनाथ की पूजा में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है. रुद्राभिषेक से तात्पर्य है रुद्र का अभिषेक अर्थात भूत भावन भगवान शिव का अभिषेक. शिव को ही रुद्र नाम से भी जाना जाता है, और मात्र रुद्राभिषेक से ही भगवान शिव प्रसन्न होकर मानव के दुखों का खत्म कर देते हैं. इसीलिए धर्म ग्रंथों वर्णन किया गया है कि रुतम् दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानी की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं.


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क्यों कराते हैं रुद्राभिषेक


सनातन परंपरा में ऐसी मान्यता है कि हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों की जड़ हैं. रुद्राभिषेक से हमारे कुंडली से ये पातक कर्म, महापातक जलकर भस्म हो जाते हैं. एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाता है.


मान्यता है कि विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत् अभिषेक करने पर अभीष्ट की पूर्ति होती है. आचार्य शिवम के अनुसार इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी पुराने नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत ही उत्तम फल देता है. किन्तु यदि पारद के शिवलिंग का अभिषेक किया जाय तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है. रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है.


अलग-अलग कामना के लिए अलग पूजन विधि


शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक पूजन के निमित्त अलग-अलग विधियों का उल्लेख है. उनका कहना है कि साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से और विविध मनोरथ से करते हैं. अलग-अलग मनोकामना के लिए अलग सामग्री से पूजन भक्त की मनोकामना पूर्ति करती है.


1. अच्छी वर्षा के लिए सावन में भगवान शिव का जल से अभिषेक करना चाहिए.


2. असाध्य बीमारी जो पकड़ में नहीं आ रही है, उसके निवारण के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें.


3. भवन-वाहन की प्राप्ति के लिए दही से रुद्राभिषेक करें.


4. धन प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें.


5. धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें.


6. तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है एवं बाधा शान्ति होती है.


7. इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है.


8. संतान सुख के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा होने की समस्या और उसका निवारण चाहते हैं तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें.


9. योग्य तथा विद्वान संतान की चाहत है तो सावन में रुद्राभिषेक कराना लाभदायक रहेगा.


10. बुखार की शांति के लिए शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें.


11. सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है.


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