किसान न्यूज: पूर्वांचल का यह किसान ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी की खेती से कमा रहा लाखों रुपये, जानें इसके फायदे
UP News: किसान ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू करने से पहले उन्होंने रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल किया है. इससे पौधों को अच्छी ग्रोथ मिल रही है.
प्रमोद कुमार/कुशीनगर: परंपरागत फसलों की खेती करने वालों किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. कभी बारिश तो कभी भयंकर सूखे का मार का असर किसानों पर पड़ रहा है.इस साल तो अन्य वर्षों के मुकाबले धान के उत्पादन में भी भारी कमी आई है. यही वजह है कि किसान भारी नुकसान से बचने के लिए नई फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं. कुशीनगर जिले के किसानों ने ड्रैगन फ्रूट व स्ट्रॉबेरी की फसलों में भी दिलचस्पी दिखाना शुरू कर दिया है.कुशीनगर जिले के दुमही गांव में किसान लालजी कुशवाहा खेती में नया प्रयोग कर क्षेत्र के मशहूर किसान बन गए हैं. वह यहां ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी उगा कर लाखों रुपए कमा रहे हैं.
कुशीनगर जिले के दुमही गांव ब्रिटिश शासन काल से ही दुमही गांव के आसपास के क्षेत्र व्यवसायिक खेती का जरिया बनकर रह गया. दरअसल बिहार का पश्चिमी चंपारण जिला कुशीनगर से सटा है. ऐसे में इस क्षेत्र में भी नील की खेती की जाती थी. आज विभिन्न प्रजाति की सब्जियों और फलों के लिए विख्यात है. इसी मिट्टी में जन्मे किसान लालजी ने स्ट्राबेरी की खेती का प्रयोग कर एक सफल किसान बन चुके हैं जो करीब चार साल से स्ट्राबेरी की खेती करते आ रहे हैं. एक एकड़ से शुरू की गई खेती अब धीरे धीरे मुनाफा देने वाली फसल बन गई है.
200 से 400 रुपये प्रति किलो बिकता ड्रेगन फ्रूट
किसान लालजी कुशवाहा ने बताया कि किसानी का सफर लगभग दो दशक पूर्व केले के खेती से शुरू करने के बाद धान, गेंहू व गन्ने की खेती में बंधे रह गए, लेकिन इंटरनेट पर स्ट्राबेरी की खेती देख मैंने भी इसकी खेती करने के बारे में सोचा और शुरू भी कर दिया. स्ट्रॉबेरी की खुशबू जब क्षेत्र में बिखेरी तो मुझे अलग पहचान भी मिली.किसान लालजी अब ड्रैगन फ्रूट की खेती भी करते है. उन्होंने बताया कि कुशीनगर जिला उद्यान अधिकारी द्वारा सुझाए गए तरीके पर अमल करते हुए उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू कर दी. इसकी खेती करने के लिए शासन की तरफ से अनुदान भी प्राप्त हुआ है. इसकी खेती किसी भी तरीके की मिट्टी में की जा सकती है. इसे कमलम भी कहते हैं.ड्रैगन फ्रूट का पौधा एक बार लगाने के बाद करीब 20 साल तक फल देता है.जो मेरी पहली पसंद है.साथ ही यह फल बाजार में करीब 200 से 400 किलो तक बिकता है.
किसान ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू करने से पहले उन्होंने रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल किया है. इससे पौधों को अच्छी ग्रोथ मिल रही है. खेत में सीमेंट के पोल लगाने के बाद उसी के बगल में पौधे का रोपण किया जाता है. करीब एक साल के बाद इसमें फल आने शुरू हो जाते हैं.जिसका नतीजा यह रहा है लालजी कुशवाहा को विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुरुस्कृत भी किया गया है.साथ ही उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी लालजी को पुरस्कृत कर हौसला बढ़ाया है. लालजी को देख अन्य किसान भी इनकी तरह खेती में हाथ आजमा कर लाखों की कमाई करने के लिए मेहनत भी कर रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं.
ड्रैगन फ्रूट के फायदे
आयुर्वेद के डॉक्टर भी मानते है कि ड्रैगन फ्रूट का सेवन ब्लड में शुगर की मात्रा को सामान्य करता है. इसके सेवन से डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है. कोलेस्ट्रॉल को शरीर में नियंत्रित रखता है. सबसे बड़ी बात यह है कि इससे हार्ट अटैक का खतरा भी कम हो जाता है. कोविड काल से डॉक्टर इसे इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में सेवन करने के लिए लोगों को बोल रहे थे. यह बालों और त्वचा के लिए काफी लाभदायक फल है.