हेमकान्त नौटियाल/ उत्तरकाशी :  मोदी सरकार ने देश के सीमावर्ती गांवों को मजबूत बनाने के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम शुरू किया था. इससे इन गांव में शक्ल सूरत बदल गई है. इन गांव में जहां एक ओर विकास की गति बढ़ी है वहीं दूसरी ओर सामरिक नजरिए से इसका लाभ है. इसी कड़ी में उत्तरकाशी के टकनौर क्षेत्र के ग्राम प्रधान ने पीएम को पत्र लिखकर अपना अनुभव साझा किया था. हालांकि उन्होंने यह नहीं सोचा था कि पीएम उनके खत का जवाब भी देंगे. उत्तरकाशी के उपला टकनौर क्षेत्र को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल किए जाने पर जसपुर गांव के प्रधान हरीश राणा के पत्र का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात की अत्यंत खुशी है कि आज के बदलते दौर में सीमावर्ती गांवों को लेकर देश के लोगों के नजरिए में बदलाव आया है. 


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आज देशवासी इन गांवों को देश का अंतिम गांव नहीं बल्कि, देश के पहले गांव के रूप में पहचानने लगे हैं. प्रधानमंत्री ने पत्र में आगे कहा कि सामरिक नजरिए से अत्यंत महत्वपूर्ण ये गांव और यहां के लोग देश के सशक्त प्रहरी हैं. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों को उनकी वास्तविक पहचान दिलाने और व्यापक स्तर पर इन क्षेत्रों के विकास के लिए विभिन्न स्तरों पर निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. इस कड़ी में सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने, इंफ्रास्ट्रक्चर, टूरिज्म को बढ़ावा देने और पलायन रोकने के मकसद से वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत की गई है.


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प्रधानमंत्री ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के जरिए इन गांवों के लोगों के रहन-सहन, खान-पान, हस्तशिल्प और लोक कला एवं संगीत को परस्पर जानने का भी मौका मिलता है. इससे पहले जसपुर गांव के प्रधान ने पत्र लिखकर उपला टकनौर क्षेत्र को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल किए जाने पर गांववासियों की ओर से प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया था.


वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 के दौरान लागू किया जाना है. फिलहाल सीमा से सटे भारतीय इलाकों की बात करें, तो यहां सरकार के द्वारा 4800 करोड़ रुपए विकास के लिए आवंटित किये गए हैं, जिनमें से कुल 2500 करोड़ रुपए सड़क निर्माण कार्य में खर्च होने वाले हैं. इस प्रोग्राम के पहले चरण में करीब 662 गांवों को शामिल किया जा रहा है. जबकि पूरे प्रोग्राम में 2967 गांवों को शामिल किया जाता है. 


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