जालौन में लगाया गया पहला बायो फ्लॉक टैंक, मछली पालन से होगी लाखों की कमाई
यदि आपके पास ग्रामीण इलाके में जमीन है तो आप उससे लाखों की कमाई कर सकते हैं. जालौन में मछली पालन का ऐसा ही एक प्रोजेक्ट प्रशासन के सहयोग से किसान ने शुरू किया है. आइए जानते हैं बायो फ्लॉक टैंक क्या है
जालौन: बुंदेलखंड के जालौन में पहला बायो फ्लॉक टैंक लगाया गया है. सूबे में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए जालौन में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत 50 बायो फ्लॉक टैंक लगाए जाएंगे. डीएम जालौन चांदनी सिंह ने मौके पर जाकर इस टैंक निरीक्षण किया. इस स्कीम के तहत महिलाओं को मछली पालन के लिए 60 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है.बताया जा रहा है कि 7 माह में 8 क्विंटल मत्स्य उत्पादन का अनुमान है. डीएम चांदनी सिंह ने कहा कि किसानों के लिए मत्स्य उत्पादन अत्यंत फायदेमंद होगा. किसानों को सरकार की योजना का होगा फायदा मिलेगा. जालौन के ग्राम अंडा में बुंदेलखंड का पहला बायो फ्लॉक टैंक बनाया गया है.
जनपद की डीएम चांदनी सिंह के मुताबिक इजरायल से यह तकनीक अपनाई गई है. टैंकर में मछलियों का कल्चर होगा. इस तकनीक को बहुत कम लोगों ने अपनाया है. दीपा पटेल और उनके परिवार ने इसे अपने यहां क्रियान्वित किया है. किसान ऐसी तकनीक से अपनी आय बढ़ा सकते हैं. सरकार की ऐसी तमाम योजनाओं का किसानों को लाभ लेना चाहिए. जिला प्रशासन मत्स्य विभाग किसानों को प्रशिक्षण की व्यवस्था भी करेगा. बहुत से लोग इसके बारे में पूछ रहे हैं.
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इस व्यवस्था के माध्यम से मछलियों के मल को बायोफ्लॉक बैक्टीरिया प्रोटीन में बदला जाता है. इसे मछलियां खा जाती हैं. इससे मछलियां कम समय में तेजी से विकास करती हैं. बायोफ्लॉक बैक्टीरिया की खास बात यह भी है कि वह टैंक के पानी को भी साफ रखता है. पानी लंबे समय तक साफ रहने से मछलियों को किसी तरह की बीमारी भी नहीं होती है. बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन काफी सस्ता पड़ता है,इसलिए कृषि विशेषज्ञ मछली पालकों को अक्सर बायोफ्लॉक तकनीक अपनाने का सुझाव देते हैं.
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