जोशीमठ जैसे हादसे की चपेट में न आ जाए वन विभाग की आवासीय कॉलोनी , लोगों को सता रहा डर
एक ओर जोशीमठ हादसे के बाद लोगों को सुरक्षित जगहों पर बने कैंप में रखा गया है वहीं पौड़ी के वन विभाग की आवासीय कॉलोनी में रह रहे लोगों को ऐसे ही हादसे का डर सता रहा है. आइए जानते हैं क्या है वजह
कमल किशोर पिमोली/पौड़ी गढ़वाल : अभी जोशीमठ हादसे के जख्म भरे नहीं हैं. वहीं उत्तराखंड के पौड़ी में वन विभाग कर्मचारियों की आवासीय कॉलोनी बड़े खतरे की जद में हैं. यहां भूधसाव होने से कई सरकारी आवासों में दरारें पड़ चुकी हैं जबकि आवासीय भवन जिस जमीन में टिके हुए हैं, वह जमीन ही अब धसने लगी है. ऐसे में इन सरकारी आवासों में रह रहे वन विभाग के कर्मचारियों और उनके परिजनों को हर दिन डर के साये में गुजर बसर करना पड़ रहा है. वन विभाग कार्मियों के परिजन बताते हैं कि उनको आंवटित हुए भवनों में दराने उस वक्त से पड़ने लगी. जब से आवासीय भवनों के नीचे निर्माणाधीन राजकीय पॉलीटेक्निक का निर्माण होने लगा. इस निर्माण के दौरान भूमि कटान का कार्य किया गया. इसके बाद से आवासीय कॉलोनी के भवनों में दरारे पड़ने लगी और जमीन धीरे-धीरे धसने लगी है.
डर के साये में जीने को मजबूर
मौजूदा हालात ये है कि जमीन काफी धस चुकी है. वहीं कई बार भूकंप के झटके महसूस होने पर आवासीय कॉलोनी में रह रहे डरे सहमे हैं. हालात ये हैं कि लोग अपने मकानों से बाहर निकल जाया करते हैं, जिससे कोई जानमाल की कोई हानि न हो. यहां रह रहे लोग बताते है कि उनके आवासीय भवनों और जमीन की मरम्मत जल्द न हुई तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
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वहीं जिलाधिकारी आशीष चौहान ने मामले का संज्ञान लेते हुए बताया कि वे इंजीनियर की एक टीम आवासीय भवनों का निरीक्षण करने के लिये भेजेंगे. डीएम के मुताबिक वह डीएफओ से भी आवासीय भवनों की स्थिति पर अपेडट रिपोर्ट मांगेगे. बहरहाल, इससे पहले की पौड़ी में भूधसाव की वजह से कोई बड़ा हादसा हो जाए, पहले ही जरुरी उपाय करने होंगे.
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