Guru Diksha Niyam: गुरु पूर्णिमा पर इन 5 मंत्र का करें जाप, जानिए दीक्षा प्राप्ति के 8 उपाय
इस साल गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को है. आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा पर मनाई जाने वाली गुरू पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं.
Guru Diksha Niyam: इस साल गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को है. आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा पर मनाई जाने वाली गुरू पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. वैसे तो किसी भी तरह का ज्ञान देने वाला गुरु कहलाता है, लेकिन तंत्र-मंत्र-अध्यात्म का ज्ञान देने वाले सद्गुरु कहलाते हैं जिनकी प्राप्ति पिछले जन्मों के कर्मों से ही होती है. दीक्षा प्राप्ति जीवन की आधारशिला है. इससे मनुष्य को दिव्यता तथा चैतन्यता प्राप्त होती है तथा वह अपने जीवन के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच सकता है. दीक्षा आत्मसंस्कार कराती है. दीक्षा प्राप्ति से शिष्य सर्वदोषों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है.
दीक्षा के 8 रहस्य मुख्य रूप से हैं.
1. समय दीक्षा- साधना पथ की ओर अग्रसर करना, विचार शुद्ध करना इसमें आता है.
2. ज्ञान दीक्षा- इसमें विचारों की शुद्धि की जाती है.
3. मार्ग दीक्षा- इसमें बीज मंत्र दिया जाता है.
4. शांभवी दीक्षा- गुरु, शिष्य की रक्षा का भार स्वयं ले लेते हैं जिससे साधना में अवरोध न हो.
5. चक्र जागरण दीक्षा- मूलाधार चक्र जागृत किया जाता है.
6. विद्या दीक्षा- इसमें शिष्य को विशेष ज्ञान तथा सिद्धियां प्रदान की जाती हैं.
7. शिष्याभिषेक दीक्षा- इसमें तत्व, भोग, शांति निवृत्ति की पूर्णता कराई जाती है.
8. पूर्णाभिषेक दीक्षा- इसमें गुरु अपनी सभी शक्तियां शिष्य को प्रदान करते हैं, जैसे स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को दी थीं.
गुरु प्राप्ति इतनी सहज नहीं है। गुरु मंत्रों में से किसी एक का लगातार जप गुरु प्राप्ति करा सकता है, जो निम्नलिखित है.
पढ़ें गुरु मंत्र
1. ॐ गुरुभ्यों नम:
2. ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
3. ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:
4. ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्
यदि गुरु प्राप्ति हो जाए तो उनसे श्री गुरु पादुका मंत्र लेने की यथाशक्ति कोशिश करें। यही वह मंत्र है जिससे पूर्णता प्राप्त होगी
इस दिन गुरु पादुका पूजन करें. गुरु दर्शन करें. नेवैद्य, वस्त्रादि भेंट प्रदान कर दक्षिणादि देकर उनकी आरती करें तथा उनके चरणों में बैठकर उनकी कृपा प्राप्त करें. यदि गुरु के समीप जाने का अवसर न मिले तो उनके चित्र, पादुकादि प्राप्त कर उनका पूजन करें.
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