Ravidas Jayanti 2023: हर साल माघ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन संत रविदास जयंती मनाई जाती है. रविदास जयंती और माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है. इस साल 5 फरवरी 2023 को रविदास जी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. संत रविदास जी रैदासजी के नाम से भी प्रसिद्ध है. इस दिन संत रविदास के अनुयायी बड़ी संख्या में उनके जन्म स्थान पर एकत्रित होकर भजन कीर्तन करते, रैलियां निकालते हैं और उनके बताएं अनमोल विचारों पर चलने का प्रण लेते है. 


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भक्तिकालीन संत और महान समाज सुधारक थे संत रविदास
संत रविवास जी बेहद धार्मिक स्वभाव के थे. रविदास  भक्तिकालीन संत और महान समाज सुधारक थे.उन्होंने भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्त्तव्यों का भी बखूबी निभाया.  इन्होंने बिना भेदभाव के आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी, और इसी तरह से वे भक्ति के मार्ग पर चलकर संत रविदास कहलाए. उनके उपदेशों और शिक्षाओं से आज भी समाज को मार्गदर्शन मिलता है.


यूपी के वाराणसी में हुआ था जन्म
संत रविदासजी का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर स्थित गोवर्धनपुर गांव में 1376 ईस्वी हुआ था.  इनके पिता का नाम राहू और माता का नाम करमा था. इनकी पत्नी का नाम लोना बताया जाता हैं इन्हें संत रविदास, गुरु रविदास, रैदास, रूहिदास और रोहिदास जैसे कई नामों से जाना जाता हैं.  ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन रविदास जी का जन्म हुआ था उस दिन माघ पूर्णिमा के साथ साथ रविवार का दिन था इसलिए उनका नाम रविदास रखा गया. वे समतामूलक समाज के प्रबल समर्थक थे।उनके त्यागपूर्ण,आडम्बर रहित जीवन,उदारता व विनम्रता के कारण उन्हें हरिभक्त, गुरु, उपदेशक, समाज सुधारक, संत शिरोमणि के रूप में जाना जाता है. पढ़िए उनके अनमोल वचन और विचार


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संत रैदास के कुछ अनमोल वचन और दोहे


मन ही पूजा मन ही धूप,
मन ही सेऊं सहज स्वरूप।।
अर्थ: निर्मल मन में ही भगवान वास करते हैं.अगर आपके मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष नहीं है तो आपका मन ही भगवान का मंदिर, दीपक और धूप है। ऐसे पवित्र विचारों वाले मन में प्रभु सदैव निवास करते हैं.


ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,
पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।।
अर्थ: किसी का पूजन सिर्फ इसीलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि वह किसी ऊंचे पद पर है।  इसकी जगह अगर कोई ऐसा व्यक्ति है, जो किसी ऊंचे पद पर तो नहीं है लेकिन बहुत गुणवान है तो उसका पूजन अवश्य करना चाहिए।


रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच
नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच
अर्थ: संत रविदास जी के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी जाति में जन्म के कारण नीचा या छोटा नहीं होता है. किसी व्यक्ति को निम्न उसके कर्म बनाते हैं. इसलिए हमें सदैव अपने कर्मों पर ध्यान देना


करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास
अर्थ: हमें हमेशा अपने कर्म में लगे रहना चाहिए और कभी भी कर्म के बदले मिलने वाले फल की आशा नही छोड़नी चाहिए.कर्म करना हमारा धर्म है तो फल पाना हमारा सौभाग्य है.


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कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा
अर्थ:  राम, कृष्ण,हरि, करीम, राघव सब एक ही परमेश्वर के अलग अलग नाम है ठीक वैसे ही वेद, कुरान, पुराण आदि सभी ग्रंथो में एक ही ईश्वर का गुणगान किया गया है.  इस प्रकार सभी ईश्वर भक्ति के लिए सदाचार का पाठ सिखाते हैं.


संत रविदास को वेदों पर अटूट विश्वास था.  वे सभी को वेद पढ़ने का उपदेश देते थे. संत कहते हैं-


‘जन्म जात मत पूछिए, का जात और पाँत। रैदास पूत सम प्रभु के कोई नहिं जात-कुजात।।’ वे कहते हैं-‘एकै माटी के सभै भांडे, सभ का एकै सिरजनहार। रैदास व्यापै एकौ घट भीतर, सभ को एकै घड़ै कुम्हार।।


उन्होंने धार्मिक स्थलों के बजाय व्यक्ति के बेहतर कमरें को महत्वपूर्ण माना और हृदय की पवित्रता को जरूरी बताया. वे कहते हैं-'का मथुरा का द्वारका, का काशी हरिद्वार। रैदास खोजा दिल आपना, तउ मिलिया दिलदार।। आडंबरों का विरोध करने के कारण उनकी निंदा-आलोचना भी की गई, लेकिन उन्होंने इसकी कभी परवाह नहीं की।


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