Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस में जिला अदालत का ऐतिहासिक फैसला आ गया है. ज्ञानवापी केस में हिन्दू पक्ष की याचिका को स्‍वीकार करते हुए कोर्ट ने मामले को सुनवाई योग्य बताया है. वहीं, मुस्लिम पक्ष द्वारा दी गई साल 1991 के वर्शिप एक्ट की दलील को खारिज कर दिया है. जिला जज एके विश्वेश द्वारा दिए गए 22 पन्ने के इस फैसले से हिन्दू पक्ष में खुशी की लहर है तो वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. अब इस वर्डिक्ट को चुनौती देते हुए वह हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे. 


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हिन्दू पक्ष की प्रतिक्रियाएं
इसको लेकर हिन्दू पक्ष ने खुशी में प्रतिक्रियाएं दीं. महिला याचिकाकर्ता का कहना है उन्हें इस दिन के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा है. रोज अदालत आते थे और हियरिंग चलती थी. हालांकि, उम्मीद तो पूरी थी कि कोर्ट का फैसला हिन्दुओं के पक्ष में ही आएगा. वहीं, जब मुस्लिम पक्ष ने यह कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएंगे, जो हिन्दू पक्ष ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हिन्दू इसके लिए भी तैयार है. लड़ाई शुरू हुई है तो अंत तक लड़ी जाएगी और जीती भी जाएगी. 


सभी केसेस की नींव की तरह देखा जाएगा कोर्ट का फैसला
वहीं, दूसरे पक्षकार ने कहा कि यह हिन्दू पक्ष के लिए एक बड़ी जीत है. लगातार दावा किया जा रहा था कि हिन्दू पक्ष सही है. कोर्ट का यह फैसला सभी मामलों की नींव के तौर पर देखा जाएगा. हिन्दू पक्ष ने मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित करने की भी मांग की थी, इसको लेकर बात आगे बढ़ेगी. पूजा के अधिकार को लेकर भी दावा किया गया था. 


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हिन्दू पक्ष ने रचा इतिहास: याचिकाकर्ता
मुस्लिम पक्ष की दलील जिला कोर्ट ने खारिज कर दी है. महिला याचिकाकर्ताओं में से एक का कहना था कि उन्हें उम्मीद थी कि वह लोग इतिहास रचेंगे और उन्होंने इतिहास रच दिया है. मुस्लिम पक्ष लगातार दावा कर रहा है, तो करने दीजिए उनके पास दावा करने के लिए कुछ है ही नहीं. 


पेटिशनर मंजू व्यास ने कहा, आज घरों में दीप जलाएं
आज पूरा भारत खुश है. आज सारे ब्रह्माण्ड में उजाला करना चाहते हैं. उनकी सभी से अपील है कि आज अपने घरों में घी के दीपक जलाएं, ढोल-नगाड़े बजाएं और हर-हर महादेव के नारे लगाएं. 


कोर्ट के फैसले का सम्मान: मुस्लिम धर्मगुरु
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि कोर्ट के फैसले की इज्जत करते हैं. कोर्ट का पूरा फैसला स्टडी करने के बाद आगे क्या करना है यह सोचेंगे. बाबरी मस्जिद केस के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर कहा था कि अब कभी देश में मंदिर-मस्जिद मुद्दा दोबारा नहीं उठेगा. इसके बावजूद भी इस तरीके के मुद्दे सामने आ रहे हैं. बहरहाल, आज के सभी फैसलों को लीगल टीम डिस्कस करेगी, इसके बाद ही कोई बात आगे कही जा सकती है. 


आगे भी होगी लड़ाई, मिलेगी कामयाबी: मुस्लिम धर्मगुरु
कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. अब इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे और उन्हें यकीन है कि आगे उन्हें कामयाबी मिलेगी. अब आगे पूरी मजबूती के साथ मस्जिद का पक्ष रखेंगे. इस सिलसिले में जो भी कुर्बानियां देनी होंगी वह दी जाएंगी. 


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जजमेंट के बाद वकील ने मीडिया को दी थी यह जानकारी
कोर्ट ने सारे आर्ग्यूमेंट्स को मान लिया है. मुस्लिम पक्ष की एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दी गई है. प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप एक्ट की दलील खारिज कर दी गई है. कोर्ट ने कहा है कि सूट मेनटेनेबल है और अगली सुनवाई 229 को होगी और एवीडेंस लीड की जाएगी. इस जजमेंट के बहुत बड़े मायने हैं. क्योंकि अब कमीशन की रिपोर्ट पढ़ी जाएगी और उसके खिलाफ उन्हें ऑब्जेक्शन देना पड़ेगा. कमीशन की रिपोर्ट में जो कथित शिवलिंग बरामद हुआ है अब उसपर आगे बात होगी. यह सभी महिला याचिकाकर्ताओं के लिए बहुत बड़ी जीत है. 


22 सितंबर को इन मुद्दों पर हो सकती है सुनवाई
कोर्ट के इस फैसले के बाद कथित मस्जिद का धार्मिक स्वरूप तय किया जा सकता है. इसके लिए पुरातत्व विभाग की मदद से एक सर्वे कराया जा सकता है. इस सर्वेक्षण में आधुनिक तकीनक का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. जो शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है, वह कितना पुराना है, इसकी जांच भी का जानी है. कोर्ट ने अपने अंतिम ऑर्डर में लिखा है कि 1991 में लागू किया प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन बिल्कुल भी नहीं है. इस मामले को सुना जा सकता है. यानी 22 सितंबर को जब सुनवाई होगी, तो चार-पांच चीजें सामने आएंगी.


इन पांच मामलों पर होगी बात
1. पहला यह कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की जाएगी
2. एसआई की मदद से सर्वे कराने की मांग की जाएगी
3. रडार पेनिट्रेटिंग सिस्टम के द्वारा सर्वेक्षण कराने की मांग की जाएगी. 
4. व्यास जी के तैखाने से पूर्वी इलाके का सर्वे पहले नहीं हो पाया था. उसके नीचे तमाम दीवारों को तोड़ सर्वे कराने की मांग की जा सकती है, ताकि यह पता चल सके कि शिवलिंग कितना गहरा है और उसका क्या इस्तेमाल किया जा जाता था. 
5. इसके अलावा, 3 गुंबदों के नीचे बने तहखाने का सर्वे कराने की मांग भी की जा सकती है. इसपर सुनवाई 22 सितंबर को होगी. 


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