वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाना मामले में बहस पूरी हो गई है. यहां पूजा पाठ किये जाने संबंधी आवेदन पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में दोनों पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी कर ली गई. अदालत इस मुद्दे पर आदेश बुधवार को करेगी. इस मामले में वादी शैलेन्द्र पाठक के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी व दीपक सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि उनकी तरफ से दिए गए आवेदन के एक पार्ट को अदालत ने स्वीकार कर लिया, जिसमें व्यास जी के तहखाने को डीएम कि सुपुर्दगी में दिए जाने का अनुरोध किया गया था. 


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दूसरा अनुरोध किया गया था कि जो बैरिकेडिंग नंदी जी के सामने की गई है उसे खोल दिया जाए. व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ के लिए आने जाने दिया जाए. इस पर आदेश किए जाने का अनुरोध किया गया.


इस पर अंजुमन इंतजामिया की तरफ से मुमताज अहमद, एखलाक अहमद ने आपत्ति जताया. कहा कि व्यास जी का तहखाना मस्जिद का पार्ट है. पूजा पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश के लिए बुधवार की तिथि नियत कर दी.


पिछले17 जनवरी को जिला जज डा.अजय कृष्ण विश्वेश ने जिलाधिकारी वाराणसी को ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तहखाने (वादग्रस्त संपत्ति) का रिसीवर नियुक्त किया था. अपने आदेश में कोर्ट ने डीएम को निर्देशित किया था कि मुकदमे की सुनवाई की दौरान तहखाने को अपनी अभिरक्षा नियंत्रण में लेकर सुरक्षित रखें. उसकी स्थिति में कोई परिवर्तन न होने दें. 


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गौरतलब है कि वादी शैलेन्द्र पाठक के परिजन वर्ष 1993 तक तहखाने में पूजा पाठ करते थे. 1993 के बाद तत्कालीन सपा सरकार के आदेश पर ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ बंद हो गई. जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष के वकीलों ने अदालत को जानकारी दी थी कि 1993 तक भूखंड आराजी संख्या 9130 (ज्ञानवापी) में मौजूद देवी-देवताओं का नियमित पूजा-पाठ होता था. 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ध्वंस के बाद 1993 में यहां पहले बांस-बल्ली और उसके बाद लोहे की ऊंची बैरिकेडिंग करा दी गई.