आशीष द्विवेदी/हरदोई: अपराध की दुनिया में कदम रख चुके बाल अपचारियों को रोजगार की ओर मोड़ने के लिए जिला प्रशासन ने एक नई पहल की शुरुआत की है. बाल संप्रेषण गृह में किशोर उम्र बाल अपचारियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें पढ़ाई लिखाई के साथ ही व्यवसायिक शिक्षा से भी जोड़ा गया है. यहां बच्चों को कौशल विकास मिशन के तहत प्रशिक्षित करने के साथ ही कंप्यूटर शिक्षा भी दी जा रही है. प्रथम चरण में ट्रेनिंग पाने वाले बच्चों का कैंपस इंटरव्यू कराया जाएगा और उनके यहां से रिहा होने के बाद उन्हें जॉब दिलाई जाएगी. 


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प्रथम चरण में 20 बच्चे चिन्हित, तकनीकी रूप से बनाया जा रहा दक्ष
हरदोई जिले में बाल संप्रेक्षण गृह में बाल अपचारियों को प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक और तकनीकी शिक्षा भी दी जा रही है. बाल संप्रेक्षण गृह में वर्तमान समय में 61 बच्चे मौजूद हैं, जिन में प्रथम चरण में 20 बच्चों को चिन्हित किया गया है. जिन्हें कौशल विकास मिशन के तहत सहायक लाइनमैन की ट्रेनिंग दी जा रही है और कंप्यूटर शिक्षा देकर तकनीकी रूप से दक्ष बनाया जा रहा है. 


तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद दिलाई जाएगी जॉब
तीन महीने में प्रथम चरण की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ट्रेनिंग पाने वाले सभी 20 बच्चों का कैंपस इंटरव्यू कराया जाएगा. जमानत पर रिहा होने के बाद इन बच्चों को जॉब दिलाई जाएगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. बाल संप्रेक्षण गृह में मौजूद सभी बच्चों की बौद्धिक क्षमता के अनुसार उन्हें शिक्षित किया जा रहा है. बौद्धिक क्षमता को आंकने के बाद उसी हिसाब से बच्चों को चार भागों में विभाजित किया गया है. बच्चों को शिक्षित करने के लिए बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों को लगाया गया है जो रोजाना उन्हें पढ़ाते हैं. 


अग्निपथ योजना की भी तैयारी कर रहे बच्चे
बाल संप्रेषण गृह में रहने वाले 3 बच्चे ऐसे हैं, जो अग्निपथ योजना की तैयारी कर रहे हैं. वह रोजाना बाल संप्रेक्षण गृह में जिम करते हैं, दौड़ लगाते हैं और प्रशिक्षक उन्हें प्रशिक्षित करते हैं. उनका सपना है कि वह अग्निवीर बनकर देश सेवा करें. शारीरिक व्यायाम,प्राथमिक और व्यवसायिक शिक्षा भी इनको यहां दी जाती है. इन बच्चों का कहना है कि बाल संप्रेक्षण गृह आने के बाद इनका जीवन नीरस हो गया था. उन्हें लगता था कि अब उनका जीवन यही थम जाएगा.  लेकिन प्रशासन के प्रयास से उन्हें शिक्षा भी मिल रही है,वह तकनीकी रूप से दक्ष भी हो रहे हैं और व्यायाम के जरिए शारीरिक रूप से मजबूत भी हो रहे हैं. प्रशासन की इस पहल से वह अपराध छोड़ आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अपने कदम बढ़ा रहे हैं. 


अपराध छोड़ आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करने की प्रशासन ने की पहल
राजकीय संप्रेक्षण गृह हरदोई में सीतापुर,लखीमपुर और हरदोई जिले के जाने अनजाने अपराध करने वाले बाल अपचारियों को रखा जाता है. दरअसल यह बाल अपचारी अपराध की दुनिया में चले गए थे. जिन्हें बाल सुधार गृह में रखा गया है. ऐसे में इन बच्चों की पढ़ाई छूट गयी थी साथ ही वह समाज की मुख्यधारा से अलग हो गए थे. लिहाजा जिला प्रशासन ने इन अपचारी बच्चों को अपराध छोड़ आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करने का अभिनव प्रयोग किया है. 


प्रयोग करने वाला हरदोई बना प्रदेश का पहला जिला
प्रशासन के मुताबिक इस तरह का प्रयोग करने वाला हरदोई यूपी का पहला जिला है, जहां बाल अपचारी बच्चों को रोजगार की ओर मोड़ा जा रहा है. जिलाधिकारी अविनाश कुमार और मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा राणा के प्रयासों से भारत सरकार और निदेशालय से बच्चों को प्रशिक्षित करने की अनुमति मिली है. जिसके तहत बाल अपचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. प्रशासन की मंशा है कि बाल अपचारी जब यहां से रिहा होकर बाहर निकलें तो रोजगार हासिल कर आत्मनिर्भर बन नेक इंसान बनें. 


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