Hariyali Amavasya 2023: सावन का पवित्र महीना चल रहा है. श्रावण मास में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है. हरियाली अमावस्या को अत्यन्त शुभ दिन माना जाता है. हरियाली अमावस्या का दिन शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है, इसलिए इस दिन भगवान शिव की पूजा होती है. सामान्यतः हरियाली अमावस्या, प्रसिद्ध हरियाली तीज से तीन दिवस पूर्व आती है.  इस दिन पितरों की आत्मा की शांत के लिए श्राद्ध, तर्पण भी किया जाता है.


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इस दिन को हरियाली अमावस्या इसलिए कहते हैं क्योंकि सावन के महीनें में चारों तरफ हरियाली होती है. इसलिए इस त्योहार को हरियाली का त्योहार कहा जाता है. इसके अलावा इस दिन विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पौधे भी लगाये जाते हैं. इस तिथि को पौधों के माध्यम से सम्पन्नता और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है. यह भी मान्यता है कि हरियाली अमावस्या के मौके पर पांच तरह के पौधे अवश्य लगाएं. इससे पितृदोष, कालसर्प दोष और शनिदोष दूर होता है.


हरियाली अमावस्या के दिन दान, ध्यान और स्नान करने का विशेष महत्व होता है. हरियाली अमावस्या का त्योहार भारत में अलग-अलग नामों से प्रसिद्ध है. भारत के उत्तरी राज्यों में जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाण, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बहुत प्रसिद्ध है. 


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महाराष्ट्र में इसे 'गतारी अमावस्या' कहा जाता है, आंध्र प्रदेश में इसे 'चुक्कला अमावस्या' और ओड़िसा में इसे 'चितलगी अमावस्या' कहते हैं. जैसा कि नाम के साथ होता है, देश के अलग-अलग हिस्सों में संस्कृति और परंपराएं अलग-अलग होती हैं, लेकिन उत्सव की भावना समान रहती है. 


हरियाली अमावस्या 2023 कब है
सोमवार, 17 जुलाई 2023
अमावस्या तिथि शुरू: 16 जुलाई 2023 रात 10:08 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 18 जुलाई 2023 दोपहर 12:01 बजे


कैसे करें हरियाली अमावस्या की पूजा
इस दिन को ब्रह्म मुहूर्त में जग जाएं और स्नान कर लें.
गंगा जल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें.
शिव लिंग का जलाभिषेक करें. दुध से भी नहला सकते हैं.
अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है.
भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए.
ध्यान के पश्चात ’ॐ नमः शिवाय’ से शिवजी का पूजन करें. आरती कर प्रसाद वितरण करें.


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