Narsingh Shobha Yatra: होली के पावन पर्व को देश में हर जगह अलग-अलग ढंग और रंग से मनाया जाता है. हर अनोखे तरीके के पीछ मान्यताएं भी दिलचस्प होती हैं. इसी बीच गोरखपुर में निकलने वाली परंपरागत नरसिंह शोभायात्रा की कहानी भी रोचक है. 


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आरएसएस और नाथपीठ से मिली यात्रा को भव्यता
नरसिंह शोभायाकत्रा को भव्य बनाने का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख को जाता है. वहीं, इस यात्राा को भव्यता नाथपीठ से मिली है. बताया जाता है कि ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने महंत अवेद्यनाथ को निर्देश दिए थे कि इस शोभायात्रा को भव्य बनाएं. इसके बाद जब यात्रा का नेतृत्व योगी आदित्यनाथ को मिला, तो इसकी ख्याति देश-दुनिया में होने लगी.


1944 में नानाजी ने संभाली कमान
बात है 1944 की. बताया जाता है कि नानाजी ने जब यह देखा कि नरसिंह शोभायात्रा में होली के नाम पर फूहड़पन हो रहा है, तो उन्होंने इसकी बागडोर खुद संभालनी शुरू कर दी. नानाजी की कोशिशें रंग भी लाईं और यात्रा को नया रूप मिला. हालांकि, इसे भव्यता नहीं दी जा पा रही थी. ऐसे में नानाजी ने तत्कालीन पीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ से बात की.


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फिर ऐसे बढ़ी शोभायात्रा की ख्याति
नानाजी के आमंत्रण को महंत दिग्विजयनाथ ने स्वीकार किया. इसके बाद अपने उत्तराधिकारी अवेद्यनाथ को उन्होंने यात्रा का जिम्मा सौंप दिया. फिर, साल 1950 से अवेद्यनाथ ही शोभायात्रा का नेतृत्व करने लगे. हर साल इसे धूम-धाम से मनाया जाने लगा. धीरे-धीरे यूं हुआ कि संघ की यह शोभायात्रा नाथ पीठ से ही जुड़ गई. 


1998 से योगी आदित्यनाथ से संभाली कमान
जब महंत अवेद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी बनाया, तो इस यात्रा की जिम्मा भी उन्हें मिला. साल 1998 से योगी आदित्यनाथ ही यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं. अब योगी आदित्यनाथ के उत्सवी स्वभाव ने इस शोभायात्रा को और भी भव्य रूप दे दिया है. अब इस यात्रा में शहर के सभी प्रमुख लोग आते हैं. 


सीएम बनने के बाद भी पूरी तरह संभाली जिम्मेदारी
गौरतलब है कि साल 2017 में योगी आदित्यनाथ प्रचंड बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने और पूरे प्रदेश का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया. ऐसे में यह चर्चा उठना लाजमी था कि शायद अब वह नरसिंह शोभायात्रा में शामिल न हो पाएं. हालांकि, वह साल 2018 और 19 दोनों सालों में सीएम रहते हुए यात्रा में शामिल हुए और इन चर्चाओं पर अपने आप ही विराम लग गया. 2020 और 21 में कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण सीएम योगी इस यात्रा में शामिल नहीं हो सके. लेकिन, अब हालात फिर सामान्य हो गए हैं, जिस वजह से इस साल योगी आदित्यनाथ इस यात्रा का हिस्सा बने. 


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