Muzaffarnagar News: जहां बनना चाहिए था नौनिहालों का भविष्य, वहां सज गया करोड़ों का बाजार, जानिए कैसे?
Muzaffarnagar: मुजफ्फरनगर में शहर के बीच बनी हजारों करोड़ की मार्किट अब जिला प्रशासन की जांच में सरकारी जमीन पर बनी पायी गई है. जानिए पूरा मामला...
मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जिस जमीन पर नौनिहालों का भविष्य जहां बनना चाहिए था, वहां करोड़ों का बाजार सज गया है. मामला यूपी के मुजफ्फरनगर का है. जहां शहर के बीच बनी हजारो करोड़ की मार्किट अब जिला प्रशासन की जांच में सरकारी जमीन पर बनी पायी गई है. इस मामले में डीएम ने तीन सदस्यीय टीम बनाकर जमीन की जांच कराई, तो सरकारी लीज की जमीन निकली. दरअसल, सरकार से एसडी संस्था द्वारा सन् 1952 में ये ज़मीन शिक्षण कार्य के नाम से 30 साल के लिए लीज पर ली थी, लेकिन संस्था द्वारा इस जमीन पर शिक्षण कार्य ना कराकर उस जमीन पर दुकानें बनाकर, उन्होंने लीज पर दे दिया गया. आइए बताते हैं पूरा मामला.
जमीन की लीज का समय 1972 में हो गया था पूरा
आपको बता दें कि इस जमीन की लीज का समय 1972 में पूरा हो गया था, लेकिन अब तक इस जमीन को संस्था द्वारा सरकार के सुपुर्द नहीं किया गया था. जिला प्रशासन ने जांच के दौरान कई बार संस्था के लोगों को अपना पक्ष रखने के लिए जांच कमेटी के समक्ष पेश होने को कहा, लेकिन ना तो संस्था के सदस्य जांच समिति के समक्ष पेश हुए, ना कोई कागजात पेश किए. अब जिला प्रशासन ने इस मार्केट प्रबंधक आकाश कुमार के नाम नोटिस जारी करते हुए जमीन के कागजात पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. अगर कागज पेश नहीं किए जाते हैं, तो ये पूरी मार्केट स्वयं सरकार यानी नगर पालिका को निहित हो जाएगी. जिसके चलते 40 साल में अब तक एक अरब छत्तीस करोड़ रुपये के राजस्व की हानि सरकार को पहुंचा चुके हैं.
जांच में दोनों मार्केट की इमारत सरकारी जमीन पर बनी मिली
दरअसल, मामला जनपद का दिल कहे जाने वाले शिवचौक का है, जहां 5310 वर्ग मीटर सरकारी जमीन पर बनी दो मार्केट है, जो एसडी मार्केट और झांसी रानी मार्केट के नाम से मशहूर है. दोनों ही मार्केट कपड़ा मार्केट के नाम से जानी जाती है. इन दोनों बाजार में लगभग सैकड़ों दुकानें हैं. इन मार्केटों की स्थापना लगभग 1970 में हुई थी. मामले में उस समय मोड़ आया, जब एक शिकायत का संज्ञान लेकर जिलाधिकारी चन्द्रभूषण सिंह ने एडीएम प्रशासन नरेंद्र बहादुर सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर मामले की जांच कराई. जांच में चौकाने वाले साक्ष्य सामने आए, तो 5 हजार करोड़ की कीमत वाली दोनों मार्केट की इमारत सरकारी जमीन पर बनी मिली.
शिक्षण कार्य हेतु लीज पर ली गई थी जमीन
आपको बता दें की एसडी संस्था द्वारा सन् 1952 में ये जमीन शिक्षण कार्य हेतु लीज पर ली थी. इस जमीन की 1982 में सरकारी जमीन की लीज खत्म हो गई थी, लेकिन इस जमीन पर कॉलेज या कोई अन्य शिक्षण संस्था न बनाकर इस पर बड़ा मार्केट खड़ा कर दिया गया. इस मामले में जांच हुई, तो सभी भेद खुल गए. अब जिला प्रशासन ने एसडी संस्था के पदाधिकारियों आकाश कुमार को नोटिस जारी कर 7 दिनों का समय देते हुए अपने कागज पेश करने के लिए कहा गया है. अगर संस्था द्वारा कागज पेश नहीं किए जाते हैं, तो पूरी मार्केट सरकार स्वयं ही अपने निहित कर लेगी. जिला प्रशासन द्वारा की जा रही इस कार्रवाई के बाद से व्यापारियों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है. अब देखने वाली बात ये होगी की इस तरह से धोखा देकर सरकार को चुना लगाने वाले पर कार्रवाई करती है या फिर इस एक्शन की जद में आकर व्यापारियों को ही इस धोखे बजी का शिकार होना पड़ेगा.
जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर ने दी जानकारी
जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह ने इस बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मामला 5310 वर्ग मीटर जमीन है. यह जमीन अभिलेखों में हमारे यहां सरकारी है. नगर पालिका द्वारा इसका पट्टा 30 साल का है, जो एसडी स्कूल है. उसके प्रबंधक को किया गया है. इस जमीन को एक रुपए के लीज पर दिया जाता है. इसका उद्देश्य है वहां शैक्षिक गतिविधियां संचालित हो. परंतु संस्था द्वारा इसका शुरू से ही व्यवसायिक रूप से इस्तेमाल किया गया है. ऐसा करके पट्टे की शर्तों का उल्लंघन किया गया है.
पट्टे की समय अवधि समाप्त होने पर ये होता है
पट्टे का समय खत्म होने के बाद लगातार 40 वर्षों से यह लोग अवैध रूप से जमीन पर कब्जा किए हुए हैं. यहां व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं. इतने समय में जो क्षति हुई है उसका मूल्यांकन किया गया है. एक अरब 36 करोड़ की धनराशि लगभग, तो इनके ऊपर हमारा व्यवसायिक रूप से हमारा बनता है, जो इन्होंने सरकार की क्षति की है. इसलिए इनको नोटिस दिया गया है. इन्होंने पट्टो की शर्तों का उल्लंघन किया और व्यवसायिक इस्तेमाल किया. दूसरा इन्होंने जमीन का पट्टा समाप्त होने पर नगरपालिका को जमीन वापस नहीं की. पट्टे की समय अवधि समाप्त होने पर चाहें तो रिन्यूअल होगा या वापस होता है. इन लोगों ने कोई भी काम नहीं किया और पूरी तरह शर्तो का उल्लंघन किया है. ऐसे में 136 करोड रुपए की क्षति शासन को हुई है. अभिलेखों में जमीन पूर्ण रूप से सरकार की है.
दिया गया है नोटिस
फिलहाल, इन्हें नोटिस दिया गया है कि जो भी उन्होंने अनैतिक निर्माण किया है, उसको हटा लें. क्षति को नियमानुसार नगरपालिका में जमा कराएं. नगरपालिका स्वामित्व के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी. जो दुकानदार हैं वह अलग हैं. वह रिन्यूअल या किरायानामा कराना चाहते हैं वो बाद का विषय है. फिलहाल, जिस संस्था को जमीन दी गई थी उसे नोटिस दिया है. नोटिस का जवाब आएगा या नहीं आएगा, उसकी पूरी तरह रिकवरी होगी. समाचार पत्रों के माध्यम से भी नोटिस दिया गया है. इसका प्रबंधक कोई आकाश करके है, उसको जो हमारे जांच अधिकारी ने तलब किया, ये वहां भी अपने पक्ष में कोई अभिलेख नहीं दिखा पाए हैं.