Janmashtami 2022: जन्माष्टमी का त्यौहार कृष्ण भक्तों के लिए बहुत ही ज्यादा मायने रखता है. जन्माष्टमी का उत्सव आने ही वाला है. इस दिन को खास बनाने के लिए लोगों ने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं. जैसे कि पूजा पाठ के लिए लोग विशेष इंतजाम करते हैं. कान्हा को भोग लगाने लगा के लिए अलग-अलग तरह के पकवान बनाए जाते हैं. कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं. जन्माष्टमी का व्रत अन्य व्रतों से कुछ अलग होता है. आज हम आपको जन्माष्टमी के इस विशेष व्रत के बारे में कुछ नियम बता रहे हैं.


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व्रत का संकल्प लें
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान करें और अपने हाथ में तुलसी के पत्ते को लेकर, साथ ही व्रत के दौरान होने वाली किसी भी भूल के लिए पहले ही क्षमा मांगकर व्रत का संकल्प लें. 


ब्रह्मचर्य का पालन करें
अगर आप शादीशुदा हैं तो व्रत रखने के लिए आपको एक रात पूर्व ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. विशेष तौर पर रात के 12 बजे के बाद से ही आपका व्रत शुरू हो जाता है और अगले दिन रात 12 बजे श्री कृष्ण के जन्म के बाद व्रत खुलता है. ऐसे में आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए.


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पूजा 
जन्माष्टमी के दिन अगर आप विशेष फल पाना चाहते हैं तो श्री हरि विष्णु की पूजा करें और उन्हें तिल अर्पित करें. वहीं, दोपहर के समय स्वयं तिल के पानी से स्नान करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस समय लड्डू गोपाल की माता देवकी जी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी और फिर देर रात में श्री कृष्ण का अवतरण हुआ था. 


लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना 
जन्माष्टमी के दिन श्री हरि विष्णु के साथ ही मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए. इस दिन देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए अपने घर के दरवाजे को कमल के फूलों से सजाएं. कमल का फूल श्री हरि को अतिप्रिय है, क्योंकि इसमें मां लक्ष्मी का वास माना जाता है. 


दिन में खीरा न कांटें 
जन्माष्टमी के दिन इस व्रत में आप सभी तरह के फलों का सेवन कर सकते हैं, लेकिन इस दिन कान्हा के जन्म से पहले खीरा काटना सही नहीं माना जाता है. दरअसल, खीरे की स्टेम कट करके ही श्री कृष्ण का जन्म होता है. ऐसा कहा जाता है कि खीरे को बच्चे की नाल समझकर कान्हा के जन्म के समय काटा जाता है. 


जन्माष्टमी के व्रत में आप फलाहार कर सकते हैं
सुबह से रात की पूजा के पहले तक आप फलों का सेवन कर सकते हैं. रात में साधारण भोजन कर व्रत खोल सकते हैं. हालांकि, जो लोग पूरे दिन व्रत रहना चाहते हैं वह रात के भोजन में फल, दही, दूध और श्रीकृष्ण को लगाए गए भोग का सेवन करें. 


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शाम की पूजा 
जन्माष्टमी के दिन आप श्री कृष्ण के लिए व्रत रख रहे हैं तो शाम की पूजा के समय नए वस्त्र धारण करें. आप इस दिन मौन व्रत रख सकते हैं यह आपके लिए अच्छा होगा. इस दिन मौन व्रत रखकर आप श्री कृष्ण के नाम का जाप कर सकते हैं. अगर आप किसी वजह से मौन व्रत नहीं रख सकते हैं तो पूरे दिन श्रीकृष्ण के नाम का जाप जरूर करें. इससे मन को शांति मिलती है और व्रत वाले दिन मन में गलत विचार नहीं आएंगे और मुंह से कुछ बुरा नहीं निकलता.


तुलसी का महत्व 
इस दिन आप पानी में तुलसी के पत्तों को डालकर उस पानी का सेवन करें. इसके साथ ही आपको तुलसी के पौधे की भी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. इस बात का ध्यान रखें कि जब आप कान्हा को रात में भोग अर्पित करें तो उनके भोग में तुलसी का पत्ता जरूर रखें. 


प्रसाद 
जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोगों को कान्हा के जन्म के बाद उन्हें झूला जरूर बुलाना चाहिए. वहीं, जिस पंचामृत से लड्डू गोपाल को स्नान कराया है उसे प्रसाद के रूप में जरूर ग्रहण करना चाहिए. इसके अलावा कान्हा के लिए आटे की पंजीरी जरूर बनाए. उन्हें भोग लगाकर इसे परिवार के सभी लोग ग्रहण करें.


डिस्क्लेमरः यह लेख धार्मिक मान्यताओं के आधार पर लिखा गया है. इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है. हालांकि इसकी नैतिक जिम्मेदारी ज़ी न्यूज़ हिन्दी की नहीं है. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.