Janmashtami 2022: कन्हैया लाल शर्मा/मथुरा: आज भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा समेत पूरे देश में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में अनेकों लीलाएं की है. जिनमें से एक लीला कालिया नाग दमन की भी है. जो आज भी मथुरा के जैंत गांव में सजीव है. जी हां,  दरअसल, श्रीकृष्ण के श्राप के बाद से कालिया नाग आज भी यहां पत्थर के रूप में स्थापित है. इस जगह पर कालिया नाग का मंदिर भी है, जहां देशभर से श्रद्दालु दर्शन-पूजव के लिए आते हैं. कहते हैं कालिया नाग के दर्शन मात्र से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है. आज जनमाष्टमी के मौके पर हम आपको इस मंदिर के पीछे की कहानी बताने जा रहे हैं, जो बेहद दिलचस्प है.  


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क्या है पौराणिक मान्यता?
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, श्रीकृष्ण की यह लीला उनके बाल्यकाल से जुड़ी है. बात तब की है जब श्रीकृष्ण गोकुल में रहा करते थे. कालिया नाम का नाग पक्षीराज गरुड़ से दुश्मनी होने कारण गोकुल के पास बहने वाली यमुना नदी में आकर रहने लगा था. जिससे पूरी यमुना नदी में कालिया का विष फैल गया. इससे नदी में रहने वाले जलीय जीव मरने लगे. इतना ही नहीं नदी का जहरीला पानी पीकर पशु-पक्षी और गांव वाले की भी मृत्यु होने लगी. एक दिन भगवान श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ यमुना किनारे गेंद से खेल रहे थे. इसी दौरान गेंद नदी में जा गिरी. गेंद को निकालने के लिए कृष्ण यमुना नदी में कूद पड़े. जिससे सो रहा कालिया नाग जाग गया. नींद में खलल पड़ने पर कालिया श्रीकृष्ण को अपने जहर का शिकार बनाने लगा. लेकिन श्रीकृष्ण ने विषैले कालिया नाग को अपने वश में कर लिया. वहीं, दूसरी तरफ यह बात माता यशोदा समेत पूरे गोकुल को पता चल गई. 


भगवान श्री कृष्ण ने दिया था श्राप 
पूरे गांव वाले दौड़े-दौड़े यमुना नदी किनारे आ गए, लेकिन कृष्ण अभी तक वापस नहीं आए थे. वहीं, नदी में श्रीकृष्ण कालिया नाग को नदी छोड़कर जाने का आदेश दिया, लेकिन वह नहीं माना. कालिया ने श्रीकृष्ण पर हमला कर दिया. फिर काफी देर तक कृष्ण और कालिया नाग की जोरदार लड़ाई हुई. कुछ समय कालिया नाग हार गया और कृष्ण उसके फन पर नाचने लगे. नदी से बाहर निकलते समय कालिया भयभीत होकर भागने लगा. कृष्ण ने उसे रुकने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं रुका. जिस पर श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को श्राप दिया कि अगर वह इस दौरान जहां भी पीछे मुड़कर देखेगा वहीं पत्थर का हो जाएगा. कहा जाता है कि वृंदावन से करीब 5 किलोमीटर दूर गांव जैंत में ही कालिया नाग ने पीछे मुड़कर देखा और पत्थर का हो गया. 


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ब्रिटिश सरकार की पत्थर के कालिया नाग पर थी नजर 
बताया जाता है कि ब्रिटिश शासन के दौरान पत्थर के रूप में बना कालिया नाग जमीन में धंस गया. ब्रिटिश सरकार ने पत्थर के बने कालिया नाग को ले जाने के लिए अपने सैनिकों से खुदाई करवाई. इस बात की जानकारी होने पर ग्रामीणों ने जमीन में धंसे कालिया नाग को निकाल कर छिपा दिया. जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने पूरे गांव में तलाशी अभियान चलाया, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. भारत की आजादी के बाद ग्रामीणों ने फिर दोबारा से कालिया नाग को उसी जगह पर स्थापित कर दिया. इसके बाद ग्रामीणों और सरकारी सहयोग के बाद कालिया नाग के मंदिर को बनवाया गया. जहां लोग अब दर्शन करने आते हैं,  और कालिया नाग की पूजा-अर्चना करते हैं. 


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