श्याम तिवारी/कानपुर: नगर निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. एक ओर जहां बीजेपी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस समेत सभी दल सियासी रणनीति बनाने में जुटे हैं. वहीं एक दल से दूसरे में उछलकूद भी तेज हो गई है. कानपुर के सियासी मैदान में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. यहां पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और तीन बार के एमएलए रहे अजय कपूर के भाई विजय कपूर ने बीजेपी ज्वाइन कर ली है. बताया जा रहा है कि वह कानपुर से मेयर पद की उम्मीदवारी के लिए दावा करेंगे. विजय कपूर एक बड़े उद्योगपति हैं, वह दादानगर कॉपरेटिव स्टेट के चेयरमैन भी हैं. यही नहीं विजय कपूर यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के रिश्तेदार भी हैं. 


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ये है सियासी समीकरण


पिछले एक दशक से यहां बीजेपी का मेयर है. सामान्य सीट होने की वजह से बीजेपी यहां से किसी नये चेहरे को मौका दे सकती है. कानपुर की दस विधानसभा सीटों में से सात सीटें नगर-निगम के दायरे में आती हैं. जातिगत समीकरण की बात करें तो नगर-निगम क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 6 लाख 50 हजार है. मुस्लिम मतदाता लगभग 5 लाख है. ओबीसी और एससी मतदाताओं की संख्या 4-4 लाख के लगभग है. वैश्य मतदाताओं की संख्या 1.50 लाख और क्षत्रीय वोटर 60 हजार के आसपास हैं. 


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बजट के लिहाज से कानपुर नगर निगम प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा नगर निगम है. वर्तमान में नगर निगम के बजय का आकार लगभग 1,400 करोड़ रुपये है. वर्तमान में बीजेपी की नेता प्रमिला पांडे मेयर हैं. निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच सियासी पारा इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि कुछ दिनों में निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को नगर निकाय चुनाव कराने की अधिसूचना जारी करने पर 20 दिसंबर तक की अंतरिम रोक लगा दी थी. 


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