कानपुर हिंसा मामला: यूपी के कानपुर में 3 जून को हुई हिंसा मामले में फंडिंग के आरोपी मुख्तार बाबा के पुराने कांड फिर से खंगाले जा रहे हैं. दरअसल, बताया जा रहा है कि मंदिरों की जमीन कब्जा कर होटल बनाने वाले जिस केस में उसे अभी जेल भेजा गया है, पहले इसी केस में मुख्तार बाबा को क्लीन चिट दे दी गई थी. तीन साल पहले तत्कालीन एसडीएम स्तर के दो अधिकारियों ने उसे बख्श दिया था. अब इन अफसरों पर कार्रवाई की जा सकती है. 


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कई केसेस में मिली थी क्लीन चिट
जानकारी के मुताबिक, मुख्तार अहमद उर्फ मुख्तार बाबा के ऊपर साल 2021 में बजरिया थाने में एक केस दर्ज हुआ था, जिसमें इन अफसरों ने आरोपी मुख्तार को निकलवा लिया था. इतना ही नहीं, राम जानकी मंदिर को तोड़ने और दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर कब्जा करने के आरोप में भी साल 2019 में FIR दर्ज हुई थी, जिसमें तत्कालीन ACM-3 और साल 2020 में ACM-7 ने जांच में क्लीन चिट दे दी थी.


14 दिन की कस्टडी के लिए दी जा सकती है अर्जी
जानकारी मिल रही है कि पुलिस की टीम मुख्तार बाबा की पीसीआर लेने में लगी हुई है. 3 जून को हुई हिंसा में क्राउडफंडिंग के मामले में मुख्तार बाबा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. अब उसकी 14 दिन की कस्टडी रिमांड के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की जा सकती है.


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शिवशरण गुप्ता ने दिया था बयान
आपको बता दें कि जिस राम जानकी मंदिर को लेकर विवाद चल रहा है, उसके असल मालिक शिवशरण गुप्ता को भी आरोपी बनाया गया है. यह बात स्पष्ट थी कि नगर निगम के पंचशाला 1927 से 1948 तक संपत्ति संख्या 99/14 शिवशरण गुप्ता के परदादा भगवानदीन के नाम पर दर्ज थी. हालांकि, बयान में शिवशरण गुप्ता ने कहा था कि इस प्रॉपर्टी को उनके चचेरे बाबा लालता प्रसाद ने 1947 में मौला बक्श को बेच दिया था. 


पाक नागरिक ने मौला बक्श से खरीदी जमीन
जांच में ओक और बात सामने आई थी. बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी नागरिक आबिद रहमान की संपत्ति बताकर इसे शत्रु संपत्ति घोषित करने का प्रोसेस चल रहा है. लेकिन, आबिद रहमान एक समय पर भारतीय नागरिक था. नाला रोड निवासी आबिद ने 1967 में मौला बक्श से यह संपत्ति खरीदी और फिर 1982 में मुख्तार बाबा के परिवार ने इसे आबिद से खरीद लिया.


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