Karva Chauth 2022: करवा चौथ पर मिट्टी के करवे से पानी पीकर क्यों व्रत खोलती हैं महिलाएं! जानें वैज्ञानिक-धार्मिक कारण
Karva Chauth 2022: करवा चौथ पर महिलाएं पहले में छलनी से चांद देखती हैं इसके बाद अपने पति का चेहरा छलनी से देखती हैं. इसके साथ ही करवा चौथ पर मिट्टी के करवा का प्रयोग किया जाता है.
Karwa Chauth 2022: हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है. हिंदू धर्म में सुहागिनों के लिए करवा चौथ (Karva Chauth 2022) का व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति की उम्र बढ़ती है. इस दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखती रखती हैं. रात में चांद के दीदार के बाद का अपना व्रत खोलती हैं. इस बार ये पर्व 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
करवा चौथ पर महिलाएं पहले में छलनी से चंद्र दर्शन करती हैं इसके बाद अपने पति का चेहरा छलनी से देखती हैं. इसके साथ ही करवा चौथ पर मिट्टी के करवा का प्रयोग किया जाता है.
क्या होता है करवाचौथ शब्द का मतलब
करवा शब्द का अर्थ मिट्टी का बर्तन होता है. चौथ का शाब्दिक अर्थ चतुर्थी है. इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और सफलता की मनोकामना पूरी होने के लिए व्रत रखती हैं. वहीं, अविवाहित युवतियां सुयोग्य वर की कामना के लिए इस व्रत को धारण करती हैं. इस दिन शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद पति, पत्नी को मिट्टी के बर्तन (करवा) से पानी पिलाकर व्रत खुलवाता है. आज हम आपको बताते हैं कि इसमें करवा क्यों महत्वपूर्ण है.
पंच तत्वों का प्रतीक है करवा, विज्ञान भी मानता है सही
मिट्टी के करवा में पांच तत्व होते है जल, हवा , मिट्टी, अग्नि, व आकाश. इससे ही हमारा शरीर भी बना है. करवा में मिट्टी व पानी मिलाया जाता है.
मिट्टी को पानी में गला कर करवा बनाया जाता है, भूमि तत्व और जल तत्व का प्रतीक है. फिर उसे बनाकर धूप और हवा से सुखाया जाता है, जो आकाश तत्व और वायु तत्व के प्रतीक हैं. उसके बाद फिर आग में तपाकर बनाया जाता है. भारतीय संस्कृति में पानी को ही परब्रह्म माना गया है. जल ही सब जीवों की उत्पत्ति का केंद्र माना जाता है. इस तरह मिट्टी के करवे से पानी पिलाकर पति पत्नी अपने रिश्ते में पंच तत्व और परमात्मा दोनों को साक्षी बनाकर अपने दांपत्त जीवन को सुखी बनाने की कामना करते हैं. आयुर्वेद में भी मिट्टी के बर्तन में पानी पीने को फायदेमंद माना गया है. इस कारण वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह उपयोगी है.
क्यों किया जाता है मिट्टी के करवा का उपयोग
करवाचौथ पर क्यों किया जाता है मिट्टी के करवा का प्रयोग हिंदू धर्म में पूजा-अनुष्ठान के कार्यों में मिट्टी के पात्रों को जैसे कलश, मिट्टी का दीपक आदि का प्रयोग किया जाता है. धर्म ग्रंथों में मिट्टी के पात्रों को शुद्ध माना जाता है. इसके अलावा प्रकृति में पांच मुख्य तत्वों के बारे में बताया गया है. मिट्टी, आकाश, जल, वायु, और अग्नि. इसके बारे में उल्लेख पहले ही किया जा चुका है. इस तरह से करवाचौथ पर मिट्टी के करवा का प्रयोग करना बेहद ही शुभ माना जाता है
करवा चौथ 2022 तारीख-शुभ मुहूर्त
हिंदी पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को होता है. इस साल यह व्रत 13 अक्टूबर दिन रविवार को पड़ रहा है. पूजा के लिए शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) शाम 5: 54 मिनट से 07:03 बजे तक है. पूजा के लिए कुल समय 1 घंटे 09 मिनट है. वहीं इस दिन चंद्रोदय का समय 08 बजकर 10 मिनट है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.
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