Varuthini Ekadashi 2023: 7 अप्रैल 2023 से वैशाख का महीने की शुरुआत हो रही है. हिंदू पंचांग के मुताबिक वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. ऐसी परंपरा है कि इस दिन सूर्य निकलने से पहले तीर्थ स्नान, दान देने, व्रत-उपवास रखने से मन चाहा फल मिलता है. लोग इस दिन भगवान विष्णु के वराह रूप की पूजा करते हैं. पुराणों में कहा गया है कि वरूथिनी एकादशी के व्रत से अन्नदान और कन्यादान दोनों श्रेष्ठ दानों का फल मिलता है. हिंदू धर्म में इस एकादाशी की खास मान्यता है. ये वैशाख के महीने में आती है और एकादशी और वैशाख दोनों ही विष्णु जी को समर्पित है. आइए जानते हैं वैशाख की वरुथिनी एकादशी की डेट, मुहूर्त और महत्व.


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वरुथिनी एकादशी 2023 तारीख और मुहूर्त


16 अप्रैल 2023 रविवार को इस वर्ष वरुथिनी एकादशी का व्रत  रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की आराधना करने से हर तरह के कष्ट और दोष दूर हो जाते हैं. व्रत के प्रभाव से साधक स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त करता है.


वरुथिनी एकादशी 2023 मुहूर्त


वैशाख महीन के कृष्ण पक्ष की वरुथिनी एकादशी तिथि 15 अप्रैल 2023 को रात 08 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 16 अप्रैल 2023 को शाम 06 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन श्रीहरि की पूजा का समय सुबह 7 बजकर 32 मिनट से सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक शुभ मुहूर्त है. एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी को किया जाता है. यदि वरुथिनी एकादशी व्रत हैं तो इसका पारण 17 अप्रैल 2023 को सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 8 बजकर 29 मिनट के बीच कर लें. 


वरुथिनी एकादशी महत्व


स्कंद पुराण में वरुथिनी एकादशी विस्तार से वर्णन है. पुराण में प्रस्तुत कथा के मुताबिक संसार में अन्न-दान से श्रेष्ठ कोई भी दान नहीं है, इससे  पितृ, देवता, मनुष्य आदि सब तृप्त हो जाते हैं. खुद श्रीकृष्ण इस एकादशी का महत्व अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि वरुथिनी एकादशी के दिन जो व्रत रखता है उसे अन्न दान और दस सहस्र वर्ष तपस्या करने के समान फल मिलता है. वरुथिनी एकादशी के दिन जल सेवा करने से दरिद्रता, दुख और दुर्भाग्य दूर होते हैं.


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